Geneva Motor Show 2018: बिना प्रदूषण के यात्री को मंजिल तक पहुंचाएगी Robotaxi

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Thursday, March 15, 2018-10:06 AM

जालंधर : 2018 जेनेवा इंटरनैशनल मोटर शो में फ्रांस की ऑटोनोमस व्हीकल निर्माता कम्पनी NAVYA ने ऐसी इलैक्ट्रिक ऑटोनोमस कैब को शोकेस किया है जो बिना प्रदूषण किए यात्री को सुविधाजनक तरीके से मंजिल तक पहुंचाने में मदद करेगी। कम्पनी ने बताया है कि इसे खास तौर पर शहरों में उपयोग करने के लिए तैयार किया गया है। इसे ऑटोनोमस इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें ड्राइवर के बैठने की जगह, स्टेयरिंग व्हील व पैडल्स नहीं दिए गए  हैं यानी यात्री को बस अपने मोबाइल में एप पर इसे बुक करना होगा जिसके बाद यह 6 कैमरों, 4 राडार और इंटरनैट की मदद से आप तक पहुंच जाएगी और यात्रियों के बैठने के बाद उन्हें मंजिल तक पहुंचाने में मदद करेगी। 

 

इस तरह काम करती है यह ऑटोनोमस कैब
इवैंट में कम्पनी ने इसके काम करने के तरीके के बारे में बताते हुए कहा कि यह पहली ऑन डिमांड पब्लिक रोबोटैक्सी है। इसे ऑन डिमांड इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यूजर जब चाहे इसे ऑर्डर कर पाएंगे। लोकेशन पर इसके पहुंचते ही यात्री को इसमें बैठकर एप में से ही चलने का बटन दबाना होगा जिसके बाद इसके दरवाजेे बंद हो जाएंगे और यह 50 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से आपको मंजिल तक पहुंचा देगी।  

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स्क्रीन पर मिलेगी लोकेशन की पूरी जानकारी
रोबोकैब के अंदर स्क्रीन लगी है जिसमें यात्री लोकेशन से जुड़ी जानकारी को इकट्ठा कर सकते हैं व मंजिल तक पहुंचने के बाद पास में खाने के लिए कौन-सा होटल मिलेगा, इसकी जानकारी भी जुटा सकते हैं। माना जा रहा है कि इससे यात्री का समय तो बचेगा ही, साथ ही दिल्ली जैसे इलाके में प्रदूषण की बढ़ रही समस्या पर कुछ हद तक तो नियंत्रण पाया जा सकेगा। 

 

पैट्रोल व डीजल कारों से बढ़ रहा दुनिया भर के प्रदूषण का स्तर
- पूरी दुनिया में कुल मिला कर 1 बिलियन कारें चलती हैं जिनसे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। 

- वर्ष 2016 में पैरिस में कुल मिला कर 65 घंटे ड्राइवर्स ने ट्रफिक जाम में व्यतीत किए, वहीं मास्को में 91 घंटे व लास एंजल्स में 104 घंटे उन्हें ट्रैफिक जाम में ही बिताने पड़े (INRIX 2016 स्टडी)

- WHO ने दावा किया है कि अगर कारों की तादाद इसी तरह बढ़ती गई तो 2030 तक 2.3 मिलियन लोगों की मृत्यु रोड एक्सीडैंट की वजह से ही होगी। 

- वाहनों से पैदा हो रहे प्रदूषण से 2.6 मिलियन लोगों की मृत्यु हर वर्ष होती है। (WHO)


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