Thursday, February 25, 2016-8:22 AM
जालंधर : विभिन्न सेटेलाइटों में प्रयोग होने वाले राडार कैमरे आने वाले समय में भारी-भरकम नहीं रहेंगे और इसे हल्का बनाने का श्रय जाता है सिंगापुर की एक टैक्निकल यूनिवर्सिटी को। पारंपरिक राडार कैमरे करीब ढाई मीटर लंबे और 200 किलोग्राम वजनी होते हैं लेकिन नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया यह नया राडार कैमरा खास माइक्रोचिप के कारण साधारण कैमरे से 100 गुना छोटा हो गया है।
साधारण राडार कैमरा एक व्यक्ति पकड़ नहीं सकता लेकिन यह नया कैमरा इतना छोटा है कि इसे हथेली पर रखा जा सकता है। हल्का होने के कारण इन कैमरों का प्रयोग ड्रोन, चालक रहित कारों और छोटे सेटेलाइटों में भी किया जा सकेगा। वहीं ऊर्जा की खपत के मामले में 1,000 वाट की तुलना में 200 वाट प्रति घंटा है।
शोधकर्ता झेंग युआनजिन ने कहा, 'हमने इन कैमरों को न सिर्फ छोटा किया है, बल्कि इनके नतीजे भी बेहतर हैं। अब इन राडार कैमरों का इस्तेमाल ऐसे उपकरणों में भी हो सकेगा, जिसकी कल्पना नहीं की गई थी।
साधारण राडार कैमरा बनाने में 10 लाख डॉलर (करीब 6.8 करोड़ रुपए) से ज्यादा का खर्च आता है, परंतु इस नए कैमरे को बनाने में सिर्फ 10 हजार डॉलर (करीब 6.8 लाख रुपए) आती है।