नासा इस उपग्रह के समुद्र में भेजना चाहती है पनडुब्बी

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Sunday, August 28, 2016-12:08 PM

जालंधर : शनि का उपग्रह टायटन बाहरी सोलर सिस्टम इस मामलो में थोड़ा अलग है कि धरती के बाहर यह अकेला एक ऐसा उपग्रह है जिसकी सतह पर तरल झीलें और समुद्र हैं। अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा ने खुलासा किया है कि उनकी तरफ से टायटन के सबसे बड़े समुद्र क्रैकेन मार की गहराई में एक पनडुब्बी भेजने की योजना बनाई गई है।

इनवर्स डाॅट काॅम के मुताबिक नासा क्रैकेन मारे की गहराई में एक पनडुब्बी भेजने पर काम कर रहा है। हालांकि, टायटन के समुद्र धरती के समुद्रों की तरह पानी से नहीं बल्कि हाइड्रोकार्बन से बने है। नासा के टायटन पर जाने के कई कारण हैं जिनमें से पहला तो इस बात को यकीनी बनाना है कि टायटन पर हाइड्रोकार्बन पर आधारित जीवन संभव है या नहीं?

यह बात नासा के कराओजैनिकस इंजीनियर जैसन हारटविग ने इस सप्ताह उत्तरी कारोलिना के रैली में आयोजित नासा के इनोवेटिव अडवांसड कंसैपटस सिम्पोजियम में कही थी। दूसरा कारण यह है कि यह बहुत ज्यादा ठंड और तरल मीथेन के समुद्र को छोड़ कर क्या बादलों और वातावरण के मामलो में टायटन धरती के साथ मिलता-झुलता है या नहीं?

रिपोर्ट में कहा गया है कि मीथेन के समुद्र में इसके सुराग छिपे हो सकते हैं कि जीवन को लेकर कुछ अलग तरह के परग्रही सूक्ष्म जीव किस तरह विकसित हो सकते हैं। मीथेन के समुद्र में गोता लगाने वाली पनडुब्बी में समुद्र की रासायणिक संरचना, परवाह, ज्वार और समुद्र तल की बनावट को परखने के लिए सामग्री भी लगाई जाएगी।

नासा ने इसको भेजने के लिए साल 2038 को चुना है। नासा ने इससे पहले एक बयान में कहा था कि लगभग 300 मीटर गहरा और लगभग एक हजार किलोमीटर में फैला क्रैकेन मारे ग्रहों की एक बेमिसाल जांच-पड़तात अभ्यान की नुमायंदगी करता है।


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