Monday, August 1, 2016-1:34 PM
वाशिंगटन (प.स.) : नासा के मार्स रिकॉनिसेंस आर्बिटर से मिले डाटा का विश्लेषण कर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मंगल ग्रह पर जो ‘गली’ या नाले दिखते हैं वे संभवत: तरल जल के चलते नहीं बने हैं।
नए निष्कर्ष वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के नालों के निर्माण के बारे में अपने सिद्धांतों का दायरा छोटा करने और इस रक्ताभ ग्रह पर हालिया भौगोलिक प्रक्रियाओं के नए ब्यौरे सामने लाने में मदद करेंगे।
अमरीका की जान्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी के अनुसंधानकर्त्ताओं ने मंगल ग्रह के 100 से ज्यादा नाले स्थलों का हाई रैजोल्यूशन संरचनात्मक डाटा का अध्ययन किया। ये डाटा आर्बिटर के ‘काम्पैक्ट रिकॉनिसेंस स्पैक्ट्रोमीटर फार मार्स’ (क्रिज्म) ने इकट्ठे किए थे। इन्हें ‘हाई रैजोल्यूशन इमेजिंग साइंस एक्सपैरिमैंट’ (हाईराइज) कैमरा और कन्टैक्स्ट कैमरा (सी.टी.एक्स.) से सह-संबद्ध करवाया गया।
इस निष्कर्ष ने प्रचुर तरल जल या उसके उतोत्पाद (बाई-प्रोडक्ट) के लिए कोई खनिजीय साक्ष्य नहीं दिखाया। इस तरह इससे यह इशारा मिलता है कि ये नाले जल प्रवाह के अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड के जमाव जैसे अन्य तंत्रों के कारण बने हो सकते हैं। धरती पर इस तरह की संरचनाएं तरल जल के प्रवाह से बनी हैं।