Thursday, February 1, 2018-10:40 AM
जालंधर : स्विट्जरलैंड की घड़ी निर्माता कम्पनी पियागैट ने दुनिया की सबसे पतली ऑटोमैटिक सैल्फ वाइंडिंग वॉच को पेश कर एक नया रिकार्ड अपने नाम बना लिया है। इस घड़ी की खासियत है कि इसके पाट्स को 22K गोल्ड से बनाया गया है, वहीं इनमें बहुमूल्य 30 रत्नों का इस्तेमाल किया गया है जो इसे दुनिया की सभी घड़ियों से अलग बनाते हैं। यह घड़ी लाजवाब तो है ही लेकिन इसकी कीमत इसे और भी खास बना देती है। इस पियागैट ऐल्टीप्लैनो अल्टीमेट 910P घड़ी के वाइट गोल्ड वेरिएंट की कीमत 27,000 डॉलर (लगभग 17 लाख 21 हजार रुपए) रखी गई है, वहीं इसके रोज गोल्ड वेरिएंट को 26,000 डॉलर (लगभग 16 लाख 58 हजार रुपए) में खरीदा जा सकेगा।
महज 4.30 mm पतली है यह घड़ी
इस घड़ी के साइज को 4.30 mm पतला बनाया गया है। पियागैट ने बताया है कि इतनी पतली घड़ी को बनाना कम्पनी के लिए एक बहुत बड़ा लक्ष्य था, लेकिन इसके निर्माताओं ने घड़ी को चलाने वाले 219 पार्ट्स को एक सिंगल यूनिट में लगाकर इसे बनाने में सफलता हासिल की है। इस घड़ी को देखने पर इसमें लगे मैकेनिकल पार्ट्स को बाहर से ही देखा जा सकता है जो इसके डिजाइन को और भी खास बना देते हैं।
3 वर्षों की मेहनत के बाद बनाई गई यह घड़ी
पियागैट ने बताया है कि इस घड़ी को तीन वर्षों की मेहनत के बाद बनाया गया है। इसे बनाने में काफी पतले पुर्जों का इस्तेमाल किया गया है व 0.12 mm पतले साइज वाले व्हील्स लगाए गए है। इस 910P वॉच के डायामीटर को 41 mm साइज का बनाया गया है। इतना पतला आकार होने के बावजूद इसकी कार्यक्षमता पर कोई फर्क न पड़े इसलिए 22 कैरेट के सोने से बनाए गए कुछ पाट्स को इसमें लगाया गया है।
50 घंटों तक स्टोर रहेगी पावर
इस घड़ी की एक खासियत यह भी है कि इसे एक बार पहनने के बाद शरीर की हलचल से जो इसमें पावर स्टोर होती है वह इसे 50 घंटों तक उपयोग में लाने के काम आती है। इसके साथ ब्लैक लैदर स्ट्रिप दी गई है जिस पर मैचिंग गोल्ड बक्कल लगाया गया है। कम्पनी ने बताया है कि इसमें लगाई गई आर्म्स को बेहद पतला बनाया गया है। इसीलिए इसे दबाव पड़ने से बचाने की जरूरत है।
क्या होती है ऑटोमैटिक व सैल्फ वाइंडिंग वॉच
आपको बता दें कि व्यक्ति के शरीर की हलचल से मैकेनिकल मूवमैंट को चलाने वाली घड़ी को ऑटोमैटिक व सैल्फ वाइंडिंग वॉच कहा जाता है। इस तकनीक को सबसे पहले वर्ष 1770 में अब्राहीम-लुइस पेरेलेट द्वारा पॉकेट वॉच को बना कर दिखाया गया था जिसके बाद ब्रिटिश वाच रिपेयरर जॉन हारवुड द्वारा 1923 में पहली ऑटोमैटिक रिस्ट वाच बनाई गई थी। इसके बाद अप्रैल 2014 में एस वॉच ग्रुप ने सिस्टम 51 रिस्टवाच को पेश किया। इस वॉच में 51 मैकेनिकल पार्ट्स दिए गए थे जिस कारण इसे दुनिया भर में काफी सराहा गया। जिसके बाद अब पियागैट द्वारा बनाई गई इस लाजवाब घड़ी को देख कर यह कहा जा सकता है कि मैकेनिकल वॉचिस का ट्रैंड अभी खत्म नहीं हुआ है यानी पुरानी तकनीक व नए डिजाइन से बनाए जाने वाले प्रोडक्ट्स को आज भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं।