कम समय में मरीज की स्कैनिंग करेगी ProjectDR टैक्नोलॉजी

  • कम समय में मरीज की स्कैनिंग करेगी ProjectDR टैक्नोलॉजी
You Are HereGadgets
Monday, January 29, 2018-2:43 PM

जालंधर : शरीर में किसी भी तरह का दर्द होने पर डॉक्टर इलाज करने से पहले स्कैनिंग करवाने को कहते हैं क्योंकि इससे उन्हें बीमारी से जुड़े तत्वों का पता लग जाता है व इलाज करने में भी मदद मिलती है। लेकिन इस दौरान मरीज को काफी भाग-दौड़ करनी पड़ती है जिससे उसका काफी कीमती समय बर्बाद हो जाता है। इसी बात पर ध्यान देते हुए मरीज की बीमारी का जल्द पता लगा कर उसका इलाज करने के लिए ProjectDR टैक्नोलॉजी को विकसित किया गया है। यह नई तकनीक कुछ सैकिंड्स में ही मरीज की स्कैनिंग करने व शरीर में हो रही गतिविधि का पता लगाने में मदद करेगी जिससे डॉक्टर को शारीरिक अंगों से जुड़ी स्टीक जानकारी मिलेगी जिससे बेहतर इलाज सम्भव होगा। 

 


चमड़ी के अंदर देख पाएंगे डॉक्टर


इस नई ProjectDR तकनीक के जरिए डॉक्टर मरीज की चमड़ी के अंदर मौजूद भीतरी अंगों को प्रोजैक्टर के जरिए देख पाएंगे जिससे टूटी हुई हड्डी में हो रही हलचल, पथरी के आकार व उसके हिलाने से शरीर को होने वाले नुकसान का पता लगाया जा सकेगा। आपको बता दें कि यह तकनीक फिलहाल टैस्टिंग फेस में है यानी इंसान जैसे हूबहू क्लोन को बना कर उस पर अभी टैस्ट किया जा रहा है।

 


इस तरह काम करती है यह तकनीक 


आपको बता दें कि ProjectDR तकनीक कोई ट्रांसपेरेंट तस्वीर या इंसान के भीतरी अंगों की रियल टाइम इमेज को पेश नहीं करती बल्कि इससे थ्री डायमेंशनल CT और MRI तस्वीरों को एक साथ पेश किया जाता है जिससे रोगी के शारीरिक अंगों को देखने में आसानी मिलती है। 

 


इंफ्रारैड कैमरे और प्रोजेक्टर से होगी स्कैनिंग


रोगी की स्कैनिंग करने के लिए इंफ्रारैड कैमरे और प्रोजेक्टर का उपयोग किया गया है। इस टैस्ट में मरीज के शारीरिक अंगों के पास मार्क बनाए गए हैं जिन्हें सिस्टम में लगा कैमरा डिटैक्ट करता है व प्रोजैक्टर की मदद से तस्वीर दिखाता है। 

 


शरीरिक अंगों की दिखेगी मूविंग इमेज


ProjectDR तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है कि मरीज के हिलने पर इसके जरिए शो हो रही तस्वीर भी हिलती है जिससे मरीज के शरीर में कुछ भी असामान्य पाए जाने पर उसका पता लगाया जा सकता है। इससे असामान्य पथरी जैसे पदार्थ के हिलने डुलने पर शरीर को जो नुकसान पहुंचेगा इसका भी पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह तकनीक खास भाग की तस्वीरों को भी डिटैक्ट करने में मदद करेगी। माना जा रहा है कि इससे अलग से फेफड़ों और रक्त वाहिकाएं (ब्लड वैसल्स) की भी स्नैनिंग अलग से सम्भव होगी। 

 


फिजियोथेरेपी और सर्जरी में मिलेगी मदद


इस तकनीक को डिवैल्प करने वाली टीम के सदस्य कम्पयूटर साइंस ग्रैजुएट स्टूडेंट इयान वॉट्स ने कहा है कि इसका उपयोग करने के लिए कई एप्पलिकेशन्स बनाई जाएंंगी जो फिजियोथेरेपी, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी व सर्जरी से पहले इसे शुरू करने के लिए प्लान बनाने में भी मदद करेगी। इस तकनीक को लेकर इंसानी मॉडल की तस्वीरें जारी की गई हैं लेकिन इंसान व किसी भी तरह के जानवर पर इसका टैस्ट होना अभी बाकी है।


Latest News