रेल नैटवर्क में क्रांति लाएगी भविष्य की Hydrogen Train

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Monday, May 28, 2018-10:13 AM

- प्रदूषण की बढ़ रही समस्या को लेकर उठाया गया अहम कदम

- सुविधाजनक तरीके से बिना आवाज़ किए चलेगी यह ट्रेन

जालंधर : पूरी दुनिया में प्रदूषण की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इस पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने के लिए फ्रांस की मल्टीनैशनल कम्पनी (अल्सतोम) Alstom ने एक नया विकल्प तैयार किया है। कम्पनी ने एक हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन बनाई है जो बिना आवाज़ किए सुविधाजनक तरीके से सफर करवाने में मदद करेगी। Coradia iLint नामक हाइड्रोजन ट्रेन को रेल नैटवर्क में एक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। यह ट्रेन डीज़ल की बजाय हाइड्रोजन से चलेगी और इसे खास तौर पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कम लागत व कम कीमत पर यात्रा करवाने के लिए बनाया गया है। इसके पहले मॉडल पर कम्पनी टैस्ट कर रही है जिसकी तस्वीरें जारी की गई हैं। 

 

इस कारण बनाई गई यह तकनीक

स्टीम इंजन्स के बाद डीजल के सस्ते होने की वजह से रेलवेज़ ने इसका उपयोग करना शुरू किया था। इसके बाद इलैक्ट्रिक इंजनों का उपयोग किया जाने लगा लेकिन इसके लिए रेलवे लाइन्स के ऊपर बिजली की तार डालनी पड़ती थी जोकि काफी महंगा काम है। इसी बात पर ध्यान देते हुए बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए अल्सतोम कम्पनी ने हाइड्रोजन ट्रेन का समाधान निकाला है। 

 

अल्सतोम जर्मन के चीफ डा. जॉर्ग निकुट्टा ने कहा है कि एक दिन डीजल का खत्म होना तय है और अगर ट्रेन को बैटरी से चलाया जाए तो यह एक बार में सिर्फ 50 किलोमीटर तक का ही रास्ता तय कर सकेगी जोकि प्रयाप्त नहीं है जिसके बाद आखिरी ऑप्शन के रूप में हमने इस हाईड्रोजन ट्रेन को बनाया है। उन्होंने कहा है कि अगर रेल ऑप्रेटर डीजल ट्रेन की बजाय हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण करें तो इसकी लागत डीजल ट्रेन के मुकाबले ज्यादा नहीं आएगी। इस FCEV ट्रेन को मॉड्यूलर डिजाइन से बनाया गया है यानी जरूरत पड़ने पर व खराब होने पर इसके पार्ट्स को आसानी से नए में बदला जा सकता है। 

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एक बार में 1000 किलोमीटर तक सफर तय करने की क्षमता

इस हाइड्रोजन ट्रेन को लेकर इसकी निर्माता कम्पनी ने बताया है कि अगर इसमें लगे हाइड्रोजन फ्यूल टैंक को भरा जाए तो इससे एक बार में ही 1000 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है।

 

दुनिया तक पहुंचाई गई यह महत्वपूर्ण जानकारी

हाइड्रोजन को ईंधन की तरह उपयोग करना काफी आसान है क्योंकि यह डीजल की तरह ही पावर पैदा करता है। इसके टैंक को सिर्फ 15 मिनट में रीफिल किया जा सकता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर इसके साथ एक से ज्यादा टैंक्स को भी बढ़ाया जा सकता है।

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लाजवाब डिजाइन

हाइड्रोजन ट्रेन के डिजाइन को देख आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि यह ट्रेन हाइड्रोजन से चलती है, क्योंकि इसके डिजाइन को डीज़ल से चलने वाली ट्रेन के जैसा ही बनाया गया है। लेकिन जब यह पास से बिना आवाज़ किए गुजरती है तो देखने वाले चौंक जाते हैं। कम्पनी ने बताया है कि इसके पहियों की आवाज़ भी ट्रेन में लगी मोटर से ज्यादा है और इसमें सिर्फ एयर ब्रेक्स दी गई हैं जो बाकी की ट्रेन्स के जैसे आवाज़ करती हैं।

 

पैसेंजर की सहूलियत का रखा गया खास ध्यान

इस ट्रेन में व्हीलचेयर्स, साइकिल रखने की सहूलियत और पैसेंजर के आराम का खासा ध्यान रखा गया है। इसके अलावा इसमें अलग सैक्शन्श भी बनाए गए हैं जिनमें अतिरिक्त बैठने की सुविधा दी गई है। 

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टैस्टिंग जारी

इसका टैस्ट ट्रैक ज्यादा लम्बा नहीं है इसी लिए इसके प्रोटोटाइप को सिर्फ 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर टैस्ट किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इसकी टॉप स्पीड इससे डबल यानी 160 किलोमीट प्रति घंटे की होगी। फिलहाल प्रोटोटाइप में थोड़ा छोटा फ्यूल टैंक लगाया गया है जिससे यह 800 किलोमीटर तक चल सका है। 

 

पावर को बरकरार रखने में मदद करेगी बैटरी

इसका इंजन FCEV (फ्यूल सैल इलैक्ट्रिक व्हीकल) तकनीक पर आधारित है। इसकी चैसीज में इलैक्ट्रिक मोटर लगी है जो पहियों को आगे बढ़ने की ताकत देती है। इसमें बैटरी भी लगी है जो पावर के फ्लो को बरकरार रखने में मदद करती है। 

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डीजल ट्रेन्स को बदलने की जरूरत

अल्सतोम कम्पनी ने प्रैस रिलीज़ के जरिए जानकारी दी है कि पूरी दुनिया के रेल ऑप्रेटरों को प्रदूषण को बढ़ता देख डीज़ल ट्रेन को बदलना चाहिए और इसके लिए ट्रेन यार्ड में डीजल फिलिंग स्टेशन की बजाय हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन की ही जरूरत होगी। 

 

इस हाइड्रोजन ट्रेन को कुछ वर्षों में सबसे पहले जर्मनी में ही शुरू किया जाएगा। अल्सतोम कम्पनी ने इस ट्रेन को बना कर अपने देश में कई जगहों पर इसे शुरू करने के लिए डील्स भी साइन कर ली हैं और अगले 5 वर्षों में ऐसी 60 ट्रेन्स को बनाने का लक्ष्य रखा है। वहीं भविष्य में इसकी प्रोडक्शन बढ़ाई जाएगी। यूनाइटेड किंगडम ने भी जानकारी देते हुए बताया है कि वह भी भविष्य में हाइड्रोजन ट्रेन को ला रहे हैं क्योंकि वे रेल नैटवर्क पर बिजली की तार बिछाने की बजाय इस विकल्प को बेहतर समझ रहे हैं। 

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भारत को भी देश में लानी चाहिए यह तकनीक

रेल नैटवर्क के जरिए प्रदूषण की बढ़ रही समस्या को देख भारत को भी हाइड्रोजन ट्रेनों को देश में लाने पर विचार करना चाहिए। भारत में कई महत्वपूर्ण रूट्स पर बिजली की तारें नहीं बिछाई गई हैं यानी यहां सिर्फ डीजल इंजनों का ही उपयोग होता है। ऐसे में यह हाइड्रोजन ट्रेन काफी फायदा पहुंचा सकती है। 
 


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