Saturday, September 9, 2017-11:26 AM
जालंधरः मौजूदा समय में ज्यादातर लोग एंड्रायड स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। अगर आपके पास भी एंड्रायड फोन है तब तो यह खबर आपके लिए काफी दिलचस्प हो सकती है। क्योंकि आज हम आपको एंड्रायड से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आपने पहले शायद ही सुना हो। तो आइए जानते हैं...
कैसे हुई शुरूआत
एंड्रायड की शुरुआत साल 2007 में हुई थी| पिछले दस सालो में एंड्रायड ने काफी तरक्की की है| आज करीब 90 प्रति शत से भी ज्यादा फ़ोन में एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम आपको देखने को मिलती है।
क्या है एंड्रायड
एंड्रायड एक मुफ्त ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह पहली ऐसी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे इनस्टॉल करने के लिए आपको कोई भी पैसे नहीं देने पड़ते है। आपको शायद पता ना हो लेकिन एंड्रायड की ऐसी बेहद सारी बातें है जो आपको पता नहीं है।
क्यों कहा जाता है एंड्रायड को एंड्रायड
एंड्रायड के निर्माता एंडी रुबिन को रोबोट के प्रति काफी दिलचस्पी थी| जब वह एप्पल में काम करते थे तब उनके साथ काम करने वाले दोस्त उन्हें एंड्राइड नाम से बुलाते थे। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपनी इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम एंड्रायड रखा।
सैमसंग को एंड्रायड सिस्टम खरीदने की आई थी ऑफर
सैमसंग को साल 2004 में एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम खरीदने की ऑफर आई थी। लेकिन सैमसंग ने वह ऑफर ठुकरा दी। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा के एंड्रायड का कोई भविष्य नहीं है। यह एक साधारण ऑपरेटिंग सिस्टम है। उसी के ठीक 10 साल बाद एंड्रायड ने ही सैमसंग को सहारा दिया। आज सैमसंग अगर मशहूर है तो इसमें एंड्रायड का भी काफी बड़ा हाथ है।
एंड्रायड का जो इंटरफ़ेस है वह एप्पल के IOS से काफी हद तक मिलता है। स्टीव जॉब्स को भी यह बात पता थी के एंड्रायड IOS के फीचर चुरा रहा है। लेकिन उस वक्त एप्पल और गूगल के अच्छे रिश्तों के चलते स्टीव जॉब्स ने उस बात को नज़र अंदाज कर दिया था। कहा ये भी जाता है के साल 2011 में एंड्रायड के खिलाफ एप्पल केस करने वाला था लेकिन केस करने से कुछ ही दिनों पहले स्टीव जॉब्स गुजर गए।
एंड्रायड पर चलने वाला एक स्मार्टफोन स्पेस में भी है। नासा द्वारा बनाए गए फ्लोटिंग रोबोट में एंड्रायड नेक्सस S स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया गया है। यह फोन और रोबोट दोनों आज भी स्पेस में ही है।