Sunday, November 19, 2017-5:06 PM
जालंधरः सरकारी कंपनी उर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड ने सितंबर महीने में टाटा मोटर्स को दम हजार इलेक्ट्रिक कार का टेंडर दिया, जिनमें में 500 कारें नवंबर में मिल जाएंगी। या सिर्फ नमूना है, कैंद्र सरकार सरकारी विभागों की सभई 50 लाख गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन चलाना चाहती है।
वहीं, 2030 तक देश की सड़को पर सिर्फ ई-कार चलाने की योजना है। सरकार की इस पहल का मकसद300 अरब डॉलर सलाना के भारी-भरकम खनिज तेल आयात में कटौती करना और ग्रीन हाउस, गैसों का उत्सर्जन कम करना है। हाल में दिल्ली समेत देश के कई शहरों में बनी धुंध की स्थिति को देखते हुए वह प्रयास ज्यादा अहम हो जाता है। हाल में दिए साक्षात्कार में परिवहन मंत्री नितिन गड़कारी ने कहा कि हम पसंद करें या नहीं, लेकिन हमें ई-वाहन की ओर बढ़ना होगा। सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए है। ई वाहनों पर जीएसटी 12 फीसदी है, जबकि डीजल और पैट्रोल गाड़ियों पर 28 फीसदी। सरकार को योजना ई- वाहनों पर आयात शुल्क शून्य करने और सस्ती बिजली मुहैया कराने की है। सितंबर में हुई मोटर उद्योग के सालाना सम्मेलन में भी उन्होेंने ई वाहनों पर जोर दिया था।
अभी देश में बिक्री कम
2016 में चीन में 3.36 लाख और अमेरिका में 1.6 लाख इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई पर भारत में सिर्फ 450 वाहन। अब केेंद्र सरकार ने 2020 तक 60 लाख ई वाहन चलाने का लक्ष्य रखा है।
चार देशों में इलेक्ट्रिक कार ही दौड़ेगी
नीदरलैंड और नार्वे परंपरागत वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर 2025 तक सिर्फ ई वाहन चलाना चाहते हैं। ब्रिटेन और फ्रांस 2040 तक परंपरागत वाहनों को बाहर कर देंगे। चीन ने इसके लिए कोई समय सीमा निधार्रित नहीं की है, लेकिन वहां भी ई-वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
भारत में लग रहे ई-वाहनों के प्लांट
भारतीय ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक तकनीक हासिल करने को आतुर हैं। मारुति सुजुकी ने ई-वाहनों की लिथियम आयन बैटरी के प्लांट के लिए 1200 करोड़ का निवेश किया है। टाटा नैनो के इलेक्ट्रिक मॉडल का ट्रायल कर रही है। एम एंड एम ई- वाहनों का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में हैं।