कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद करेगी नई तकनीक

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Tuesday, April 17, 2018-6:11 PM

- कम समय में मिलेगी सटीक जानकारी 

- स्क्रीन पर देख सकेंगे कैंसर से ग्रस्त ट्श्यिू 

जालंधर: टैक्नोलॉजी के इस बढ़ते दौर में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का कम समय में पता लगाने के लिए एक ऐसा मॉडीफाइड माइक्रोस्कोप बनाया गया है जो ह्यूमन ट्श्यिू की जांच करते समय देखते ही देखते पता लगा लेगा कि कैंसर कहां से शुरू हुआ है व इससे शरीर का कितना एरिया प्रभावित है। यह नई तकनीक कैंसर से ग्रस्त ट्श्यिू को आऊटलाइन कर देगी जिससे बहुत ही कम समय में कैंसर की जड़ को समझने व उसका इलाज करने में डॉक्टर को आसानी होगी। इस आर्गुमैंट रियलिटी तकनीक से लैस माइक्रोस्कोप के प्रोटोटाइप को गूगल रिसर्चर्स ने तैयार किया है और इसे पहली बार अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च की वार्षिक बैठक के दौरान दिखाया गया है। माना जा रहा है कि इस तकनीक से छोटी लैब्स व क्लीनिक्स में भी कैंसर से ग्रस्त ट्श्यिू का पता लगाने में मदद मिलेगी। 

 

कैंसर के लक्षणों को देख सकेंगे अभिभावक
इस मॉडीफाइड माइक्रोस्कोप के जरिए ह्यूमन ट्श्यिू से कैंसर का पता लगाते समय मरीज के अभिभावक स्क्रीन पर इसे रियल टाइम में देख सकेंगे जिससे उन्हें भी इस बीमारी से जुड़े बॉडी पार्ट को समझने में मदद मिलेगी। इसके अलावा डॉक्टर को भी इसके जरिए मरीज की मौजूदा हालत समझने में आसानी होगी।

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तेजी से मिलेंगे रिजल्ट
कैंसर का अब तक पता लगाने के लिए पहले बाइलोजिकल्स ट्श्यिू की जांच की जाती है व उसके बाद पता लगाने में कि यह कितने समय से हो रहा है व किस तरह का है, काफी समय खराब हो जाता है लेकिन अब इस नई तकनीक से मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर को काफी तेजी से रिजल्ट्स मिलेंगे।

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इस तरह काम करती है यह तकनीक
गूगल ने बताया है कि इसे डीप लर्निंग टूल्स, आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस व आर्गुमैंट रिएलिटी की मदद से बनाया है। यह तकनीक ह्यूमन ट्श्यिू में न्यूरल नैटवर्क के जरिए कैंसर सैल्स का पता लगा कर उन्हें आऊट-लाइन कर देती है जिससे सीधे ही इसके बढने से पहले प्रभावित क्षेत्र का इलाज कर पाना संभव है। 

 

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मलेरिया और ट्यूबरक्लोसिस का भी लगा सकेंगे पता
गूगल की टीम ने फिलहाल इसके जरिए ब्रैस्ट व प्रोस्टेट कैंसर के होने की गुंजाइश का पता लगाया है। असाइनमैंट के दौरान इस सिस्टम ने बिल्कुल ठीक कैंसर का पता लगाया है व सटीक जानकारी को डिलीवर किया है। गूगल ने बताया है कि आने वाले समय में इससे इन्फैक्शन से जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे मलेरिया और ट्यूबरक्लोसिस के लक्षणों का भी पहले ही पता लगाने में मदद मिलेगी।


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