ड्राई आंखों का इलाज करने में वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता

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Friday, August 4, 2017-11:24 AM

जालंधर - अगर आपकी आंखें खराब हैं और आप कॉन्टैक्ट लेंसिस का उपयोग करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। जर्मनी की टैक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मुनिच के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा लुब्रिकेंट बनाया है जिसका रोजाना सिर्फ एक ड्रॉप ही आंखों की ड्राइनैस को सही कर देगा साथ ही यह ड्रॉप आंखों में बन रहे फ्लूड को भी बनाए रखेगा जिससे लेंस का उपयोग करने पर आंखों में होने वाली जलन को भी कम किया जा सकेगा। इस खास लुबरीकेंट को यूनिवर्सिटी ने सुअर के पेट से मिलने वाले मॉलिक्यूल से बनाया है जो बिनी किसी नुक्सान के नैचुरली तरीके से आंखों को सही करने में मदद करेगा जिससे रोगी को आंखों में होने वाली जलन से छुटकारा मिलेगा। 

नुकसान से बचाएगा यह लुब्रिकेंटः  

आमतौर पर इंसान की आंखें ड्रॉई होने पर मूसिन (mucin) MUC5AC नाम के लूबरीकेंट से ठीक कीं जाती है, लेकिन कुछ मरीज़ों की आंखों में बन रहे फ्लूड को मूसिन भी बढ़ा नहींं पाता। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इस नए लुबरीकेंट को बनाया गया है जो प्लास्टिक लेंस से होने वाले नुकसान से रोगी को बचाएगा। रिसर्चरों का कहना है कि यह एक नैचुरल लुबरीकेंट है जिसका आंखों को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा।

रोजाना सिर्फ एक ड्रॉप ही काफीः

टैक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मुनिच के रिसर्चरों का कहना है कि बाजार में उपलब्ध लुब्रिकेंट्स में हैल्यूरोनिक एसिड (hyaluronic acid) होता है जिसे रो•ााना दिन में कई-कई बार आखों में डालना पड़ता है। लेकिन अब उनके द्वारा बनाए गए इस नए लुब्रिकेंट को कॉन्टैक्ट लेंस पर सिर्फ एक बार लगाने से ही रोगी की आंखों को पूरे एक दिन के लिए सुरक्षा मिलेगी।

टीम लीडर का बयानः

टैक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मुनिच की रिसर्चरों की टीम को लीड कर रहे ओलिवर लिलेग (Oliver Lieleg) ने कहा है कि ओरल ड्राइनैस को ठीक करने के लिए उन्होंने बाजर में उपलब्ध मूसिन्स  (mucins)और अपने बनाए हुए नए लूबरीकेन्ट का एक्सपेरिमेंट किया है। इस टैस्ट की रिपोर्ट में पता चला है कि यह किसी तरह के टिश्यू को डैमेज किए बिना सारी रात आंखों की समस्याओं से बचाव कर सकता है। रिसर्चरों का कहना है कि इस शोध का मुख्य उद्देश्य दिना में बिना बार-बार उपयोग किए नैचुरल तरीके से आंखों के फ्लूड को बढ़ाना हैं। फिलहाल इस नई खोज का अलग-अलग जानवरों पर टैस्ट किया जा रहा है जिसके बाद मनुष्यों पर भी इसका टैस्ट किया जाएगा। 


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