Monday, September 14, 2015-3:05 PM
वाशिंगटन : ऊर्जा-संरक्षित कैमरों से युक्त संवेदी नोडों का एक नेटवर्क, अपने विषय से प्राप्त संकेतों को सूंघ कर स्वत: ही हर कैमरे के पोज यानी उसका रुख निर्धारित कर सकता है। डिजनी रिसर्च एवं यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है।
इस तकनीक से सैकड़ों, हजारों सेंसरों का जाल बिना बैटरी या बाहरी ऊर्जा के संचालित हो सकता है। इसे देख-रेख की भी न्यूनतम जरूरत होती है। ऐसे नेटवर्क ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) का हिस्सा हो सकते हैं, जिसके जरिए जानकारी का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
इस सेंसिंग तकनीक के इस्तेमाल से भविष्य में कम खर्च और बिना अतिरिक्त देख-रेख की जरूरत के इंटरनैट ऑफ थिंग्स यानी बिना किसी बाहरी वायरिंग या बैटरी के, वस्तुओं को नेटवर्क से जोडऩे और दूर से ही उन्हें नियंत्रित करने की सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है।
डिजनी रिसर्च के शोध वैज्ञानिक ऐलेनसन पी. सैंपल के मुताबिक, ‘‘इन सैकड़ों, हजारों सेंसरों का जाल पुलों, उद्यम उपकरणों और घर की सुरक्षा की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।’’
अपना रुख निर्धारित करने की हर नोड की क्षमता स्वायत्त सेंसर लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाती है। साथ ही ये सेंसर जो आंकड़े पेश करते हैं, वे अधिक सटीक होते हैं।
पिछले सप्ताह जापान के ओसाका में ‘यूबीकॉम्प 2015’ सम्मेलन में यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के सह प्राध्यापक सैंपल एंड जोशुआ स्मिथ और अन्य शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के परिणाम पेश किए।