नई टेक्नोलॉजी के तहत कैप्सूल्स कर सकेंगे इन्सुलिन इंजेक्शन्स का काम

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Friday, January 1, 2016-1:27 PM

जालंधर: भारत में दुनिया के 50.8 मिलियन डायबिटीज़ पेशेंट पाए जाते है जिससे भारत इस बीमारी को लेकर दुनिया में सबसे उपर आ गया है। पहले आपको इतना बता दें कि डायबिटीज के टाइप 1 पेशेंट को जीने के लिए रोज़ एक इन्सुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। 

इस बीमारी से राहत पाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई नए तरीको पर काम किया है जिससे रोगीयों को रोज़ की इन्सुलिन इंजेक्शन से राहत भी मिली है। इन्सुलिन की बात करें तो इससे लिवर में इस्लेट्स बनाता है जो सेल्स में रोगी के लिए ज़रूरत मुताबिक इन्सुलिन बना देते है। इन इंजेक्शन्स को प्रिजर्वेशन और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान आइस क्रिस्टल्स में रखना पड़ता है, जोकि काफी मुशकिल काम है।

इसे थोड़ा और आसान बनाने के लिए प्रोफेसर एमी शेन, OIST की टीम, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन और Wuhan यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने टीम में काम कर एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जो कुछ कैप्सूल्स की मदद से सेल्स को बिनाने के साथ डैमेज से भी बचाएगा। 

इन कैप्सूल्स को बनाने के लिए alginate से बनी hydrogel की मदद ली गई है, जो पानी के अणुओं और हाइड्रोजन से शरीर के भीतरी सेल्स को बचाएंगी। यह कैप्सूल्स मरीज़ के शरीर की इन्सुलिन की कमी के साथ पोषक तत्वों की कमीयों को भी पूरा कर सकेंगे, इसे लेकर अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में डायबिटीज के टाइप 1 पेशेंट्स को थोड़ी और राहत मिलेगा।


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