Monday, January 25, 2016-2:37 PM
जालंधर: कोई भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानी दिमाग़ का मुकाबला नहीं कर सकती परन्तु इंटेलिजेंस एडवांस रिर्सच प्रोजेक्ट्स ऐक्टिविटी (IARPA) इस को बदलना चाहती है। एक सरकारी आर्गेनाइजेशन ने हारवर्ड यूनिवर्सिटी के 3 डिपारटमेंट को 28 मिलियन डॉलर की अनुदान दी है जिससे यह पता लगाया जा सकें कि इंसानी दिमाग़ क्यों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कहीं ज़्यादा हैरानीजनक तरीको के साथ सीखने और समझने की काबिलियत रखता है।
हारवर्ड के जान ए. पॉलसन स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाईड साइंस, सैंटर आफ ब्रेन विज्ञान और डिपार्टमैंट आफ मालीक्यूलर एंड सेल्युलर बायोलाजी, यह 3 डिपार्टमैंट दिमाग़ के विज़ूयर कोर्टेक्स के अंदर होने वाली आकटीविटीज़ का अध्ययन करेंगे। इस के बाद न्यूरोनस की बनावट और यह आपस में कैसे जुड़े रहते हैं, बारे जानेंगे। यह डाटा इकट्ठा कर कर एक बहतर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तैयार किया जाएगा। इस में इकट्ठा होने वाला डाटा 1पैटाबाईट (10,00,000 गीगा बाईट) जितना होगा।