जानें कैसे काम करती है सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक, क्या दे पाएगी आपको बेहतर स्पीड

  • जानें कैसे काम करती है सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक, क्या दे पाएगी आपको बेहतर स्पीड
You Are HereGadgets
Thursday, September 16, 2021-6:53 PM

गैजेट डेस्क: दुनिया भर में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट की पहुंच नहीं है। ऐसी जगहों पर इंटरनेट की पहुंच बनाने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक को विकसित किया गया है। आने वाले समय में एलन मस्क भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक को शुरू करने वाले हैं। यह तकनीक किस तरह काम करती है और इससे आपको कितनी स्पीड मिलेगी, इसी के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।

लाकडाउन के दौरान जब आनलाइन क्लासेज को शुरू किया गया तो उस समय ऐसी खबरें आ रही थीं, कि बच्चों को इंटरनेट एक्सेस करने के लिए ऊंचे स्थान पर जाना पड़ रहा है। इसके अलावा जिन इलाकों में इंटरनेट की पहुंच नहीं है वहां बच्चे ऑनलाइन क्लासेज लेने से वंचित रह गए हैं। इसी लिए स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत में शुरू किया जाएगा जोकि उन क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने का काम करेगी, जहां अभी भी कनेक्टिविटी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी तरह की वायर की जरूरत नहीं होती। इससे लेजर बीम के इस्तेमाल से डाटा ट्रांसफर होता है। स्टारलिंक की आफिशियल वेबसाइट के अनुसार 99 डालर यानी करीब 7,200 रुपए में इसकी प्री-बुकिंग शुरू हो चुकी हैं। ध्यान रखें कि यह दर सिर्फ बीटा कस्टमर के लिए है। जब यह सेवा आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी, तो कीमतों में कमी या बढ़ोत्तरी भी हो सकती है।

किस तरह काम करती है यह सर्विस
स्टारलिंक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस है। यह तकनीक सैटेलाइट के जरिए आपके घर तक सिग्नल भेजती है। इसके लिए लोअर ऑर्बिट सैटेलाइट (Lower Orbit Satellite) का इस्तेमाल किया जाता है। लोअर आर्बटि सैटेलाइट की वजह से लेटेंसी दर काफी कम हो जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि लेटेंसी दर का मतलब उस समय से होता है, जो डाटा को एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक पहुंचाने में लगता है। यह काफी हद तक डिश टीवी सर्विस की तरह की ही है।

स्टारलिंक में भी एक डिश का इस्तेमाल कर मिनी सैटेलाइट से सिग्नल प्राप्त करता किया जाता है। जून 2021 तक सक्रिय स्टारलिंक सैटेलाइट की संख्या 1,500 से ज्यादा थी, जिससे पृथ्वी के चारों ओर सबसे बड़ा उपग्रह तारामंडल (satellite constellation) बन गया है। फिलहाल स्टारलिंक की इंटरनेट स्पीड 50 mbps से 150 mbps के बीच है। कंपनी का लक्ष्य इसे 300 mbps तक पहुंचाना है।

जानकारी के लिए बता दें कि सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस पर मौसम का असर होता है भारी बारिश या तेज हवा कनेक्शन को बाधित कर सकती है। इससे इंटरनेट की स्पीड धीमी हो सकती है। इसके अलावा कई घंटों के लिए आउटेज यानी इंटरनेट ठप भी हो सकता है।

सैटेलाइट इंटरनेट से आपको मिलेंगी ये सुविधाएं

  • इसे कहीं से भी इंटरनेट एक्सैस किया जा सकता है।
  • इसमें आपको स्पीड कंपनी द्वारा किए गए वादे से ज्यादा भी मिल सकती है।
  • आपदा में दूरदराज के क्षेत्रों में यह तकनीक काफी उपयोगी होगी।

सैटेलाइट इंटरनेट के हो सकता हैं ये नुकसान

  • इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए आसमान का साफ होना जरूरी है।
  • भारी बारिश या तेज हवा कनेक्शन को बाधित कर सकती है।

 

 


Edited by:Hitesh

Latest News