Tuesday, October 8, 2019-3:31 PM
गैजेट डेस्क : पुलिस के पास जब भी कोई पेचीदा हत्या का केस सामने आता है तो उसे हल करने के लिए वह तरह-तरह के तरकीबो का इस्तेमाल करती है। आज के डिजिटल युग में उसके पास एक से बढ़कर एक तकनीकी तरीके है जिनसे हत्यारे का पता लगाया जा सकता है। इन तरीको में से एक है ब्रेन मैपिंग तकनीक। इस तकनीक की मदद से दिल्ली में घटित 8 साल पुराने हत्या के केस को सुलझा लिया गया है।
आठ साल पहले हुई थी रवि की हत्या
आठ साल पहले यानी 2011 में दिल्ली कापसहेड़ा में रवि नाम के शख्स की हत्या उसकी पत्नी के आशिक और ड्राइवर ने अगवा कर की थी। हत्या के बाद उसके शव को राजस्थान के अलवर जिले के गाँव टापुगड़ा में जमीन में गाड़ दिया गया था। इस हत्या के बारे में रवि की पत्नी, उसका आशिक और ड्राइवर के अलावा कोई और नहीं जानता था।
दिल्ली पुलिस को शुरू से रवि की पत्नी शकुंतला और उसके आशिक कमल सिंघला पर शक था। ठोस सबूत के अभाव के कारण वह उन दोनों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी। फिर पुलिस ने दोनों की ब्रेन मैपिंग करवाई जिससे यह पूरा हत्या केस सॉल्व हो गया।
जब ब्रेन मैपिंग की रिपोर्ट सामने आई तो इसमें शकुंतला और कमल को दोषी पाया गया लेकिन गिरफ्तारी के डर दोनों फरार हो गए। लम्बी खोजबीन के बाद पुलिस ने 27 सितम्बर को कमल को गिरफ्तार कर लिया। कमल ने पूछताछ में अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसके बयान के मुताबिक पुलिस को टापुकड़ा गाँव से रवि के शरीर के 25 हड्डियां बरामद हुई है। बता दें कि शकुंतला अभी तक फरार है।
जानिये क्या होती है ब्रेन मैपिंग
ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक तकीनीकी प्रक्रिया है जिसमें आरोपी को एक हेलमेट की तरह दिखने वाला यंत्र पहनाया जाता है। यंत्र के माध्यम उसके दिमाग में चल रही हलचल को रिकॉर्ड किया जाता है। इस यंत्र में कई तरह के सेंसर लगे होते है जो दिमाग में होने वाली हलचल को रिकॉर्ड करते है। टेस्ट के दौरान फॉरेंसिक एक्सपर्ट आरोपी को अपराध से सम्बंधित तस्वीरें और चीजे दिखाता है जिसके बाद उसको देख कर आरोपी के दिमाग में जो हलचल होती है उसे रिकॉर्ड कर डिकोड किया जाता है। ब्रेन मैपिंग को इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) नाम से भी जाना जाता है।
Edited by:Harsh Pandey