Sunday, August 16, 2015-8:50 PM
न्यूयॉर्क : एक भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने जानवरों में नींद आने और उनके जागने की एक साधारण प्रणाली की खोज की है और हो सकता है इंसानों में भी एेसा होता हो। अमरीका के नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के रवि अलादा ने जानवरों की एक जैव घड़ी की खोज की है जिसके कारण वे सुबह जागते हैं और रात में उन्हें नींद आ जाती है।
सेल जर्नल में प्रकाशित इस शोध में रवि ने दो चक्रीय एक साधारण प्रणाली के बारे में बताया है जिसमें मस्तिष्क के क्रिकेडियन न्यूरॉन 24 घंटे के दौरान सक्रिय और निष्क्रिय होते हैं यह लगभग किसी स्विच के बंद और चालू होने जैसा ही है। यही न्यूरॉन उनके सोने-जागने की प्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
शोधार्थी इस बात को जानकर चकित रह गए कि चूहों और मक्खियों में सोने-जागने की प्रणाली समान है। उन्होंने पाया कि क्रिकेडियन न्यूरॉन में सोडियम और पोटेशियम जैसे चैनलों के सक्रिय-निष्क्रिय होने से यह प्रणाली नियंत्रित होती है और जानवर सोते या जागते हैं। सोडियम चैनल दिन में सक्रिय होता है और जानवर जाग जाते हैं जबकि पोटेशियम चैनल रात में सक्रिय होते हैं जिससे उन्हें नींद आ जाती है।
शोधार्थियों ने इसे साइकिल प्रणाली नाम दिया है जिसमें एक पेडलों के जोड़े की तरह क्रिकेडियन न्यूरॉन में सोडियम और पोटेशियम 24 घंटे के दौरान उपर-नीचे जाते रहते हैं। इस प्रयोग के लिए उन्होंेने चूहों और मक्खियों पर यह अध्ययन किया।