Thursday, February 22, 2018-12:10 PM
जालंधर : ड्रोन्स का उपयोग पूरी दुनिया में काफी बढ़ गया है। इनमें से कुछ अंडरवाटर ड्रोन्स को पानी के भीतर जांच के लिए उपयोग में लाया जाता है, वहीं तस्वीरों व वीडियो आदि को बनाने के लिए फ्लाइंग ड्रोन्स का उपयोग होता है। इस तकनीक को और बेहतर बनाते हुए एक ऐसा फिक्स्ड विंग ड्रोन बनाया गया है जो हवा में उड़ सकता है व जरूरत पडने पर पानी में तैर भी सकता है। इसे खासतौर पर वन्य जीवन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने, पानी के सैम्पल्स को कलैक्ट करने व मौसम से जुड़ी जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए बनाया गया है। ईगल रे XAV नामक इस ड्रोन को नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के इंजीनियर्स ने अढ़ाई वर्षों की मेहनत के बाद विकसित किया है।
48 किलोमीटर की टॉप स्पीड
यह ड्रोन 48 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर उड़ते हुए पर्यावरण से जुड़ा डाटा इकट्ठा करता है व कैमरा और ऑनबोर्ड सैंसर्स की मदद से वापस उसी जगह पहुंच जाता है जहां से इसका सफर शुरू हुआ था। यह ड्रोन अंडर वाटर ट्रैवल कर सकता है व पानी के सैंपल्स को इकट्ठा कर बेस स्टेशन तक पहुंचाता है लेकिन पानी में इसकी रफ्तार में थोड़ी कमी आ जाती है।
अनोखा डिजाइन
ईगल रे XAV ड्रोन के डिजाइन को काफी अनोखा व पुराने विंटेज विमान के जैसे बनाया गया है। इसमें 150 सैंटीमीटर (करीब 59 इंच) साइज के विंगस्पैन (यानी एक पर की नोक से दूसरे पर की नोक तक की दूरी) को बनाया गया है। इस ड्रोन की लम्बाई 140 सैंटीमीटर (करीब 55 इंच) है। इसकी नाक पर प्रोपैलर यानी पंखा लगा है जो इसे हवा व पानी में तैरने में मदद करता है।
ड्रोन में लगे अंडरवाटर सैंसर्स
शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस ईगल रे XAV ड्रोन में अन्डरवाटर सैंसर्स लगे हैं जो एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन तक इसे आसानी से पहुंचने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें डैप्थ सैंसिग कैमरों को लगाया गया है जो पूरे रास्ते को रिकार्ड कर डाटा के रूप में सेव रखते हैं, जिससे वापस बेस स्टेशन तक अपने आप पहुंचने में ड्रोन को मदद मिलती है।
रिसर्चर्स ने इस ड्रोन पर 7 अलग-अलग लोकेशन्स पर टैस्ट किया है जिनमें उन्हें सफलता मिली है। रिसर्चर्स फिलहाल इस ड्रोन को पानी से उड़ाने व लैंड करवाने की तकनीक को और बेहतर बनाने के काम में जुटे हैं। इसके अलावा इसे चलाने के लिए एक और कस्टम कंट्रोलर पर भी काम किया जा रहा है जो इसे हवा में उड़ाने व अंडरवाटर यानी पानी में चलाने के काम आएगा। माना जा रहा है कि यह तकनीक आने वाले समय में इस तरह के बड़े साइज वाले ड्रोन्स, जो वजन को साथ लेकर उड़ सकेंगे, उन्हें बनाने में भी मदद करेगी।
पानी के भीतर जीवों की करेगा निगरानी
इस प्रोजैक्ट में एक इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे वॉरेन वीकालर ने बताया है कि इस ईगल रे XAV ड्रोन के हवा में उड़ते समय पानी में डॉल्फिन आदि को ट्रैक किया जा सकता है। इससे डॉल्फिन के पानी के अंदर जाने पर यह भी पानी के भीतर जाकर उन्हें ट्रैक करता है जिससे उनके जीवन के बारे में और अधिक जानकारी मिलती है। इसके अलावा डॉल्फिन के रुकने पर यह भी रुक जाएगा व उनके चलने पर दोबारा से मूव होना शुरू कर देगा।