ऐसे भी स्मार्टफोन्स इस्तेमाल करने वालों पर रखी जाती है नजर

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Friday, August 5, 2016-9:49 AM

जालंधर : स्मार्टफोन का हैक होना और डाटा चोरी होना आम बात है और आपने फोन की बैटरी के जरिए भी डिवाइस को हैक करने के बारे में सुना होगा। यदि आप स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो अब और भी ज्यादा सावधान होने की जरूरत है क्योंकि शोधकर्ताओं द्वारा यह बात सामने लाई गई है कि फोन का ‘बैटरी लैवल’ भी आपको ट्रैक करने में इस्तेमाल होता है। जी हां, फोन में बैटरी प्रतिशत के हिसाब से भी ट्रैकिंग होती है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए सावधान रहने को कहा है और इनमें भारतीय मूल का व्यक्ति भी शामिल है। 

 

शोधकर्ताओं का दावा

शोधकर्ताओं के मुताबिक मोबाइल फोन से किस वैबसाइट को असैस (ओपन करना) किया जा रहा है इस बारे में भी पता चल सकता है। अमरीका की प्रिंसटोन यूनीवर्सिटी के स्टीवन एंगलहार्डट और अरविन्द नारायणन ने दावा किया है कि उन्होंने स्क्रिप्ट की 2 उदाहरणों को ढूंढा है जिसे बैटरी लाइफ के जरिए लोगों को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

क्या कहते हैं सिक्योरिटी एक्सपर्ट 

सिक्योरिटी एक्सपर्ट Lukasz Olejnik के मुताबिक अगर आप ऑनलाइन चीजें नहीं खरीदते तो कम्पनियां इस जानकारी के माध्यम से आपको चीजें खरीदने के लिए कहती हैं।


आई.पी. एड्रैस के बारे में मिल सकती है जानकारी 

उन्होंने कहा कि उनमें से एक होस्ट डिवाइस के जरिए वर्तमान समय में चार्जिंग लैवल और कई अन्य सुविधाओं की पहचान कर सकता है। शोधकर्ता चार्जिंग लैवल के जरिए डिवाइस को अपने हाथों में लेकर चार्जिंग स्टेटस तथा इंटरनैट प्रोटोकॉल (आई.पी.) एड्रैस के बारे में पता लगा सकते हैं। फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि इससे स्मार्टफोन के अन्य हिस्सों जैसे गैलरी, फाइल मैनेजर आदि का असैस पाया जा सकता है या नहीं।

 

ए.पी.आई. सॉफ्टवेयर

बैटरी का स्टेटस बताने वाला एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (ए.पी.आई.) सॉफ्टवेयर वैबसाइट लोड करने में मदद करता है। मैट्रो डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक यह सकारात्मक बातों की संभावना के लिए अनुमति भी देता है जैसे अगर किसी के फोन की बैटरी लो (Low) हो तो यह साधारण साइट लोड करने में मदद करता है।

 

शोधकर्ताओं के मुताबिक यूजर क्या सर्च कर रहा है इस बारे में भी जानकारी मिलती है। अगर आप लो बैटरी लैवल के समय किसी वैबसाइट को ओपन करते हैं तो फोन कम जटिल संस्करण को लोड करने तथा  बैटरी सेव करने की कोशिश करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर कोई यूजर प्राइवेट ब्राऊजिंग मोड जैसे वर्चुअल प्राइवेट नैटवर्क (वी.पी.एन.) की मदद से अन्य वैबसाइट को ओपन करने की कोशिश करता है तथा एक वैबसाइट पर दिखाई देने वाली एड दूसरी साइट पर भी दिखाई दे रही है तो आपको ट्रैक किया जा रहा है।


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