बिना ओपन हार्ट सर्जरी से भरा जा सकेगा दिल का छेद

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Tuesday, October 6, 2015-10:27 PM

जालंधर : इस नई टैक्नोलॉजी ने हदय रोग जैसी बड़ी बीमारी के इलाज को बेहद आसान बना दिया है। शोधकर्त्ताओं ने एक विशेष कैथिटर (एक विशेष ट्यूब जिसे सर्जरी के दौरान बॉडी पार्ट्स में भेजा जा सकता है) को विकसित किया है जिससे बॉयोडिग्रेडेबल गोंद की सहायता से दिल में हुए छेदों को बंद किया जा सकता है।

बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल, हावर्ड यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकली इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग विस्स इंस्टीयूट, हावर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग और एप्लाइड साइंसिज (सीज) एंड कार्प लैब स्थित ब्रिघम व वीमेन्स हॉस्पिटल के शोधकर्त्ताओं ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के इसका प्रशिक्षण जानवरों पर सफलतापूर्वक कर लिया है। बोस्टन चिल्ड्रन्स में चीफ ऑफ कार्डियक सर्जरी और अध्ययन पर योगदान दे रहे लेखक Pedro delNido ने कहा कि यह डिवाइस एक रेडिकल चार्ज उत्पन्न करता है जिसकी मदद से दिल में हुए छेद को ठीक किया जा सकता है।

delNido ने कहा कि इस तरीके से ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान काटना, सिलना जैसी प्रक्रिया से निजाद मिल जाएगी क्योंकि इस विधि में कैथिटर दिल में हुए छेद को चिपकाकर ठीक कर देता है। यह विधि ज्यादा सुरक्षित भी है क्योंकि इसमें न तो दिल को रोकने की जरूरत, न दिल को बाईपास पर डालने और न ही हार्ट को काटने की जरूरत पड़ती है।

इस यूनीक पदार्थ को पिछले साल ही विकसित कर दिया गया था जो चिपकाने के काम आता है। ओपन हार्ट सर्जरी में जिन डिवाइसिस का इस्तेमाल किया जाता था वो उम्र के साथ बढ़ते हुए शारीरिक आकार की वजह से नाकामयाब भी हो जाती थीं, लेकिन इस तकनीक की वजह से यह गोंद हार्ट के टिशुज को सम्पूर्ण रूप से बंद करके उसे बाकी मांसपेशियों के साथ जोड़े रखती है।

इस विधि को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए शोधकर्त्ताओं ने यू.वी. लाइट टैक्नोलॉजी से निर्मित कैथिटर डिवाइस का इजाद किया है जिसकी मदद से धड़कते हुए दिल में भी इसे फिट किया जा सकता है। इस कैथिटर को गर्दन की नसों के जरिए दिल तक भेजा जाता है।

जब कैथिटर छेद के पास पहुंच जाता है तो इसके अंदर दो तरफा गुब्बारे फूल जाते हैं जिनमें से एक गुब्बारा दिल के अंदर और दूसरा दिल के बाहर होता है। इसके बाद चिकित्सक चिकने वाले पदार्थ को कैथिटर के द्वारा अंदर भेजते हैं और यू.वी. लाइट को ऑन कर देते हैं। यह लाइट गुब्बारे के अंदरूनी चमकीली सतह पर पड़ती है और चिपकने वाली कोटिंग को एक्टिवेट कर देती है। गुब्बारों के प्रैशर की मदद से इसको सही जगह पर रखने में सहायता मिलती है। आखिरकार दोनों गुब्बारों में से हवा निकल जाती है और कैथिटर को बाहर निकाल लिया जाता है।

थोड़ी ही देर में छेद के टिशु आम टिशुज की तरह बढऩे लगते हैं और धीरे-धीरे छेद को भर देते हैं। विस्स इंस्टी‘यूट के कोर फैकल्टी मैम्बर, सीज में मैकेनिकल व बॉयोमैडीकल इंजीनियरिंग के असिस्टैंट प्रोफैसर, सीज में हावर्ड बॉयोडिजाइन लैब के फाऊंडर और इसके लेखक Conor Walsh का कहना है कि यह एक बहुत ही नया तरीका है जिससे शरीर के अंदर के छेदों को भरा जा सकता है। इस शोध को साइंस ट्रांस्लेशनल मैडिसिन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।


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