Wednesday, April 13, 2016-4:37 PM
जालंधर: स्मार्ट व्हीकल्ज का दौर चल रहा है और हर बड़ी कंपनी ड्राईवरलैस कारों बनाने को ही कारों का भविष्य बता रही हैं परन्तु कोई ओर भी है जो इस टैकनॉलॉजी को अपने हिसाब के साथ इस्तेमाल करना चाहता है। जी हाँ आप सही सोच रहे है, हम बात कर रहे हैं हैकर्स और आतंकवादियों की। साईबर सिक्योरीटी को लेकर यू. एस. जस्टिस डिपार्टमैंट के आफिशियल्ज़ का कहना है कि आटोमेकर कंपनियां सिक्योरिटी को ध्यान में रख कर ही इन व्हीकल्ज का निर्माण करें।
डिट्राएट में हुई आटो इंडस्ट्री कान्फ्रेंस के दौरान यू. एस. असिस्टेंट अटार्नी जनरल जान कैरलिन ने कहा कि ''इस तरह का कोई इंटरनैट कुनैकटिड सिस्टम नहीं है जिस को तोड़ा नहीं जा सकता, यह ही कारण है कि साइबर क्राइम में ड्राईवरलैस कारें जो इंटरनेट के साथ जुड़ी होती हैं, हैकरों का मुख्य निशाना बन सकतीं हैं।
बताने योग्य है कि 2025 तक इंटरनेट के साथ जुड़ी कारों की मार्केट 42 बिलियन डालर से भी पार हो जाएगी। इस हिसाब से अगर इन व्हीकल्ज की सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी पर ध्यान न दिया गया तो हमें बिल्कुल नए बैटल फ्रंट के लिए तैयार रहना होगा।