छोटी सी ब्रेन मशीन बढ़ा सकती है इंसानी शरीर की काबिलियत

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Wednesday, February 10, 2016-9:49 AM

जालंधर : मैडीकल विज्ञान में कई बीमारियां शामिल है जिनका इलाज अब तक खोज लिया गया है परन्तु ऐसी कई बीमारियां भी पाई जाती है जिनका इलाज अभी खोजा जा रहा है। इन बीमारियों में से एक है रीढ़ की हड्डी में हुई इंजरी जो पूरे शरीर को लाचार बना सकती है। इसके इलाज को बेहतर करने के लिए आस्ट्रेलिया के एक शोधकर्त्ता ने एक ब्रेन मशीन डिवैल्प की, जो हमारे दिमाग में इम्पलांट की जा सकती है। 

इस ब्रेन मशीन इंटरफेस को आस्ट्रेलिया के डा. निकोलस ओपे ने डिवैल्प किया है जो दिमाग के न्यूरो सिग्नल्स को रिकार्ड करती है। इस रिकार्ड किए न्यूरो सिग्नल्स को डीकोड किया जाता है और इसके बाद मशीन की मदद से डीकोड किए हुए सिग्नल्स को कमांड्स के रूप में अलग-अलग मशीनों जैसे व्हीलचेयर आदि पर भेज कर कंट्रोल किया जा सकता है।

डा. निकोलस ने बताया कि इस तरह की डिवाईस बनाना आसान नहीं था और उनका कहना है कि इलैक्ट्रोडज और तारों के साथ बनी इस डिवाईज को दिमाग के सही हिस्से तक पहुंचाना भी चुनौती भरा ही काम था। इसके डिजाइन को इस तरह बनाया गया, कि इसे आसानी के साथ सिकुड़ा और खोला जा सके। 

यह डिवाईस 190 हर्टज के इलैक्ट्रानिक सिग्नल भेजती है जोकि दिमाग के न्यूरोनज की हरकत को रिकार्ड कर कोडिंग करते है और इसको डीकोडिड सिगनल में बदलते है। इसको दिमाग के मोटक कोर्टेक्स में फिट किया जाता है जो हमारे शरीर में हाथों भुजाओं, गर्दन, कलाइयों आदि की मूवमैंटस को कंट्रोल करता है। 

अगर विज्ञानी सफल रहे तो इसके साथ कई तरह के शारीरिक तौर पर लाचार व्यक्ति दोबारा चल-फिर सकेंगे। इसको अभी तक प्रैक्टिकली नही आजमाया गया। इसको आजमाने के लिए उन्हें ही लिया जाएगा जिनको रीढ़ की हड्डी में समस्या है और जो शारीरिक तौर पर असमर्थ हैं। इस तकनीक को मैडिकली अप्रूवल मिलना अभी बाकी है और हम कह सकते हैं कि इस तकनीक को विकसित होने में 2022 तक का समय लग सकता है। 

 

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