Thursday, May 12, 2016-9:48 AM
जालंधर : आजकल के समय में स्ट्रैस के कारण लोगों में कई तरह की शारीरिक समस्याएं आ रही हैं। उनमें से एक है नींद न आने की समस्या। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं। इस साल हो रही 5वीं स्पेस एप्स चैम्पियनशिप में कई टीमों द्वारा नासा में अलग-अलग चुनौतियों का हल निकालने के लिए कम्पीटिशन किया जाता है। इस कम्पीटिशन में टॉप 25 टीमों में से एक टीम ने एक ऐसे डिवाइस का आइडिया पेश किया है जो हमारी नींद की समस्या का मुकम्मल हल निकाल सकती है। इस डिवाइस का नाम है ‘हिप्नोस’।
इसको तैयार करने वाले 3 में से एक सचिन का कहना है, ‘मैं और मेरा रूममेट हार्वर्ड एम.आई. टी.,एच.एस.टी. डिविजन में ब्रिगम एंड लेडीज अस्पताल में रिसर्चर हैं और हमारे प्रोजैक्ट्स के लिए हमें कई-कई बार देर रात तक जागना पड़ता है। यहीं कारण है कि हमें नींद न पूरी होने की समस्या आने लगी। अपनी इस समस्या का हल निकालना ही ‘हिप्नोस’ को बनाने की प्रेरणा बना।’
डिजाइन :
किसी ब्ल्यू टूथ हैंडसैट की तरह दिखने वाला इसका डिजाइन काफी सिम्पल है। इसके आगे की तरफ एल.ई.डी. लाइट्स और दोनों तरफ साऊंड को बदलने वाला यंत्र लगा है।
ऐसे करता है काम:
‘हिप्नोस’ में आगे की तरफ लाइट्स लगी हैं जिसके रंग बदले जा सकते हैं और इन लाइट्स को एक खास एंगल में डिजाइन किया गया है। जिससे यह चेहरे के नीचे की तरफ रोशनी का बहाव रखती है। इस डिवाइस के पीछे की तरफ कान और गर्दन के पीछे की मांसपेशियों में बोन कंडक्शन के जरिए साऊंड को पहुंचाया जाता है। यह प्रोजैक्ट एक कम्पीटिशन का हिस्सा है जिसके कारण इससे ज्यादा इसके बारे में नहीं बताया गया है।
प्रोजैक्ट का उद्देश्य
स्लीपिंग डिसआर्डर को दूर करने के लिए पर्सनल वेयरेबल डिवाइस जिसे हर कोई अपने तरीके से इस्तेमाल कर सके। इसको 3डी तकनीक द्वारा बनाया जा रहा है और जो तकनीक इसमें इस्तेमाल की जा रही है उसका प्रयोग अभी तक और कहीं नहीं किया गया है। जब ‘हिप्नोस’ को तैयार किया जा रहा था तो देखा गया कि इंसान लाइट और साऊंड को अलग-अलग तरीके से अपने कंफर्ट के लिए प्रयोग करता है और इसके साथ ही शरीर फिजीकली और प्रैक्टिकली प्रतिक्रिया करता है। अब इसे सचिन और उसकी टीम द्वारा किस तरह प्रयोग किया गया है, हार्वर्ड जी.एस.डी. में हो रहे नासा स्पेस एप चैलेंज के बाद ही पता लगेगा।