रोबोटिक हाथ की मदद से भी महसूस कर पाएंगे उंगलियों की हरकतें

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Saturday, May 7, 2016-9:59 AM

कनाडाई यूनिवर्सिटी ने बनाया रोबोटिक हाथ

जालंधर : मानव विकास के साथ-साथ टैक्नोलॉजी भी अब इतनी विकसित हो चुकी है कि यह महसूस करने लगी है। हाल ही में रोबोट गर्लफ्रैंड को पेश किया गया है जो हू-ब-हू किसी लड़की तरह लगती है और यह अपने चेहरे के हाव-भाव भी बदलती है। अब वैज्ञानिक बांह मानव दिमाग से कंट्रोल होने वाली बायोनिक बांह विकसित करते हुए एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं क्योंकि इससे उंगलियों की हरकतों को महसूस भी किया जा सकता है। 

बायोनिक बांह की मदद से किसी बिना बांह वाले व्यक्ति की जिंदगी बदल सकती है क्योंकि इससे वह उन सभी कामों को कर पाएगा जिसे करने के लिए उसे दूसरे व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती थी लेकिन अगर वह उंगलियों की हरकतों को महसूस भी करने लगे तो यह बहुत बड़ी बात हो जाती है। 

एम.ए.एस.एस. इम्पैक्ट - कनाडा की साइमन फ्रेजर यूनिवर्सिटी ने मानव दिमाग की मदद से कंट्रोल होने वाली बायोनिक बांह को पेश किया है। इंजीनियरिंग स्कूल के शोधकत्र्ताओं ने नया सिस्टम विकसित किया जिसका नाम एम.ए.एस. एस. इम्पैक्ट (मसल एक्टिविटी सैंसर स्ट्रिप) है। यह सिस्टम आर्मबैंड की तरह बांह पर फिट होकर प्रैशर सैंसर की मदद से यूजर की मूवमैंट को ट्रैक करता है जिसके सहारे यह सारा सिस्टम काम करता है। इसमें ऐसे एल्गोरिथम का प्रयोग किया गया है जो इसे डिकोड कर बांह को हिलाने में मदद करता है। '

परफार्मैंस में भी होता है सुधार 

इसमें धीरे-धीरे सुधार भी होगा और ऐसा सिस्टम खुद करता है। दरअसल यह सिस्टम मिलने वाले डाटा की रियर टाइम में भविष्यवाणी करता है और भविष्य में परफार्मैंस में सुधार लाने में मदद करता है। यह कहना है इसे इस्तेमाल करने वाले का - वर्तमान में इस हाथ को इस्तेमाल कर रहे Danny Letain का कहना है कि इस सिस्टम से दुर्घटना के बाद उन्होंने अपने हाथ की बाईं और छोटी उंगली को पहली बार महसूस किया है।

इवैंट में हिस्सा लेंगे डैनी 

अक्तूबर में ज्यूरिख में होने वाले Cybathlon इवैंट में डैनी हिस्सा लेंगे। साईबोर्ग ओलिम्पिक्स विकलांग लोगों को रोबोटिक्स की मदद से इवैंट में प्रतिस्पर्धा करने का मौका देती है जिसमें ब्रैड स्लाइसिंग और जार ओपनिंग जैसे काम करने होते हैं।  हालांकि खेलों के रूप में यह कार्य सुनने में जोरदार नहीं लगते लेकिन Cybathlon के आयोजकों को उम्मीद है कि यह इवैंट शारीरिक तौर पर अपंग लोगों को फिर से चल- फिर सकने की आजादी देने में मदद करेगा। 


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