Saturday, April 23, 2016-1:48 PM
जालंधरः स्मार्टफोन और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग में हो रही बढ़ौतरी से अब कॉर्पोरेट और सरकारी संगठनों के साथ ही आम लोग भी साइबर हमलों के शिकार होने लगे हैं तथा साइबर अपराधी भी संगठित होकर पेशेवर बनकर इन्हें अंजाम देने लगे हैं।
आईटी सिक्युरिटी क्षेत्र की प्रमुख वैश्विक कंपनी सीमेंटेक ने इंटरनेट सेक्युरिटी थ्रेट रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए आज कहा कि साइबर अपराधी अब कहीं अधिक संगठित तरीके से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लगे हैं। साइबर अपराधियों ने कॉर्पोरेट के साथ ही आम लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए कारोबारियों की तरह काम करना शुरू कर दिया है।
स्मार्टफोन के उपयोग में बढोतरी होने से आम लोग आसानी से इस अपराध का शिकार होने लगे हैं। हालाँकि, साइबर अपराधी आम लोगों से अधिक कॉर्पोरेट और सरकारी संगठनों को अपना निशाना बनाना चाहते हैं। कंपनी के निदेशक (सोल्यूशन प्रॉडक्ट मैनेजमेंट, एशिया पैसेफिक एवं जापान) तरुण कौरा ने कहा कि पेशेवर साइबर अपराधी व्यापक संसाधन एवं अत्यधिक कुशल कर्मचारियों के बल पर बेहतर सक्षमता से अपने अपराध को अंजाम देने लगे हैं और इस दौरान कर्मचारियों के साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र के कर्मचारी की तरह बर्ताव किये जाने लगा है। उन्हें बेहतर वेतन और अवकाश आदि भी दे रहे हैं। कुछ पेशेवर साइबर अपराधी अपने कारोबार को अंजाम देने के लिए कॉल सेंटर तक चला रहे हैं।
कौरा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस हमले के शिकार हर छह लोगों में से एक भारतीय होता है। साइबर हमले को अंजाम देने के लिए हर दिन नये वायरस का उपयोग किया जाता है और वर्ष 2015 में 43 करोड़ नए वायरस का पता चला जिससे यह स्पष्ट है कि अपराध को अंजाम देने के लिए अपराधी सुरक्षा को भेदने की पूरी कोशिश करते हैं। इसके साथ ही पिछले वर्ष डाटा चोरी की एक घटना से 19.1 करोड़ रिकॉर्ड नष्ट हुये थे। इस तरह के कुल नौ मामले पिछले वर्ष समाने आए जिनमें 429 करोड़ डाटा चोरी किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाँकि कॉर्पोरेट इस तरह की डाटा चोरी की रिपोर्ट कराने में कोताही बरत रहे हैं जिसके कारण इस तरह की घटनाओं में और अधिक बढ़ोतरी हो रही है।