दो साल बाद आप भी खरीद सकेंगे खुद का एयरक्रॉफ्ट

  • दो साल बाद आप भी खरीद सकेंगे खुद का एयरक्रॉफ्ट
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Monday, May 16, 2016-10:39 AM

जालंधर : टैक्नोलॉजी ने परिवहन क्षेत्र को पूरी तरह से बदल दिया है। हाल ही में हाइपरलूप का पहला टैस्ट हुआ है जिससे लम्बी दूरी तय करना आसान हो जाएगा क्योंकि यह तकनीक 750 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी, जिस पर अभी काम किया जा रहा है। अब एक ऐसा एयरक्रॉफ्ट देखने को मिला है जिसे टेक-ऑफ और लैंड करने के लिए रनवे की जरूरत नहीं होगी। इस एयरक्रॉफ्ट का नाम लिलियम (Lilium) है जो वर्टिकली टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (वी.टी.ओ.एल.) के साथ ऑल इलैक्ट्रिक एयरक्रॉफ्ट है। अगर आपके घर में (49×49ft) का लम्बा बगीचा है तो यह वहीं से टेक-ऑफ और लैंड कर सकेगा। 
2015 में बनी थी कम्पनी :
लिलियम एविएशन को 2015 में इंजीनियरों और जर्मनी की टैक्नीकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिक के डॉक्टरेट छात्रों के ग्रुप ने बनाया था और इनका मकसद एयरक्रॉफ्ट को विकसित करना था जिसके लिए फंड उद्यम पूंजी निवेशकों से लाई गई। 
एक्स-प्लेन प्रोटोटाइप से मिलता है लिलियम :
हैलीकॉप्टर की तरह वर्टिकली टेक-ऑफ क्षमता और फिक्स्ड विंग्स वाला लिलियम जैट दूसरे वी.टी.ओ.एल. व्हीकल्स से कम आवाज करता है। इसका कारण यह भी है कि इसमें 320 किलोवॉट की रीचार्जेबल बैटरी से चलने वाले डक्टेड फैन इंजन्स लगे हैं जो 435 हार्सपावर पैदा करते हैं लेकिन यह डारपा के एक्स-प्लेन प्रोटोटाइप से मिलता है जो सीधे बिना रनवे के टेक-ऑफ और लैंड कर सकता है।  
2018 में होगा उपलब्ध :
इसे जर्मनी में विकसित किया जा रहा है। इसमें फ्लाई-बॉय-वायर ज्वॉयस्टिक कंट्रोल, रिट्रैक्टेबल लैंङ्क्षडग गियर, गुल विंड दरवाजे लगे हैं। इसकी टॉप स्पीड 400 कि.मी. (250 मील) प्रति घंटा होगी। इसे बनाने वालों का दावा है कि यह पर्सनल ई-जैट 2018 तक लोगों के लिए उपलब्ध होगा, जिसमें 2 लोग बैठकर 9,800 फीट की ऊंचाई तक आसमान में उड़ सकते हैं।
लीगल तौर से उड़ा सकेंगे :
इस जैट को फ्लाइंग का आनंद लेने के लिए बनाया गया है। लिलियम जैट को उड़ाने के लिए यूरोप के लाइट स्पोर्ट एयरक्रॉफ्ट से लाइसैंस लेना होगा और इसके लिए कम से कम 20 घंटों की ट्रेनिंग की जरूरत है। 
इसे बनाने का लक्ष्य :
डेनियल विगैंड (Daniel wiegand) जो कि कम्पनी के सी.ई.ओ. और 4 संस्थापकों में से एक हैं, का कहना है कि इस एयरक्रॉफ्ट को बनाने का लक्ष्य है कि इसे हर दिन इस्तेमाल किया जा सके। हम ऐसे विमान पर सफर करें जिसे वर्टिकली टेक-ऑफ और लैंड किया जा सके तथा इसके लिए हवाई अड्डे जैसे जटिल व महंगे बुनियादी ढांचे की जरूरत न हो। 


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