Facebook द्वारा ग्रुप्स में खतरनाक कंटेंट पर कार्यवाही उसके लिए हो सकती है घातक !

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Thursday, August 15, 2019-5:18 PM

गैजेट डेस्क : बढ़ती आलोचना के बीच फेसबुक प्राइवेट ग्रुप्स पर अपने नियमों को बदल रहा है जिससे पीछे कारण है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ क्लोज कम्युनिटीज कम्युनल एक्सट्रीमइस्ट को एकजुट कर रहे हैं और फेक न्यूज़ फैला रहे हैं।

कंपनी ने बुधवार को एक ब्लॉग पोस्ट में घोषणा की कि वह ग्रुप्स में खतरनाक कंटेंट का पता लगाने में अधिक "सक्रिय" दृष्टिकोण लेगी और ग्रुप्स में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए काम करेगी। 


 

कंपनी ने बयान ज़ारी कर बताया एक्शन प्लान 

 

 

फेसबुक के इंजीनियरिंग यूनिट के वाईस प्रेसिडेंट टॉम एलिसन ने एक बयान में कहा, "प्राइवेट ग्रुप में होने का यह मतलब नहीं है कि किसी यूज़र की एक्टिविटीज पर नज़र न रखी जाए।"  फेसबुक ने कहा कि इसने ग्रुप क्वालिटी नामक एक नया टूल बनाया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग उन ग्रुप्स को स्कैन करने के लिए करेगा जो कम्युनिटी स्टैंडर्ड्सका उल्लंघन करते हैं। यह ग्रुप एडमिन्स को इन ग्रुप्स में और अधिक शक्ति प्रदान करेगा जिससे  इसके वह देख पाएंगे कि ग्रुप में क्या बात हो रही है साथ ही ग्रुप क्वालिटी टूल कैसे उसे हटाता है। 


फेसबुक कंपनी ने कहा कि फर्जी खबरों से निपट सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैफ़ेसबुक प्रशासकों को "सार्वजनिक" या "निजी" समूह बनाने की अनुमति देने के लिए गोपनीयता सेटिंग्स भी बदल देगा, एक ऐसा कदम जो कुछ समूहों को खोज परिणामों से हटा देगा।


फ़ेसबुक एडमिन्स को पब्लिक या प्राइवेट ग्रुप बनाने की अनुमति देने के लिए प्राइवेसी सेटिंग्स भी बदलेगा। यह एक ऐसा कदम है जो कुछ ग्रुप्स को सर्च रिजल्ट्स से हटा देगा। 

 

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लेकिन अभद्र भाषा और गलत सूचनाओं के फैलने पर अंकुश लगाने में मदद करने के बजाय, कुछ एक्सपर्ट्स को चिंता है कि फेसबुक का यह परिवर्तन आगे चलकर विवादित कंटेंट को छुपाने देने में और मदद करेगा। डिजिटल जांच कंसल्टेंसी मेमिटिका के सीईओ बेंजामिन डेकर ने कहा कि फेसबुक को स्वतंत्र शोधकर्ताओं को समान उपकरणों तक पहुंच प्रदान करनी चाहिए ताकि वे प्राइवेट ग्रुप्स में क्या हो रहा है, इस बारे में जानकारी हासिल कर सकें।

 

"मैंने जिन ग्रुप्स का अध्ययन किया है उनमें से कई अब अपनी प्राइवेसी की स्थिति को बंद करने और न दिखने के लिए चेंज हो रहें हैं  जिससे बाहरी लोगों द्वारा पहचाने जाने वाले कंटेंट उसे मॉनिटर करना और अधिक कठिन हो जाता है," उन्होंने कहा। "मैं बहुत चिंतित हूं कि यह आगे कांस्पीरेसी ग्रुप्स और हिंसक चरमपंथियों को  गतिविधियाँ को आगे बढ़ाने के लिए अनुमति देगा और इससे उलटे फेसबुक को ही घातक परिणाम देखने को मिलेंगे।"

 


Edited by:Harsh Pandey

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