Thursday, February 1, 2018-10:19 PM
जालंधर- दुनियाभर में एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स को बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं साल 2017 में दुनियाभर के 1.2 मिलियन यानी 12 लाख मोबाइल यूजर्स अपने एंड्रॉयड आधारित डिवाइस में पॉर्न देखने के दौरान (मैलवेयर) हानिकारक सॉफ्टवेयर का शिकार हुए हैं। कासपर्स्की लैब की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, " 25.4 प्रतिशत से ज्यादा स्मार्टफोन यूजर्स पॉर्न देखने के दौरान इस मैलवेयर के संपर्क में आए।"
कासपर्स्की लैब के सिक्योरिटी एक्सपर्ट Roman Unuchek का कहना है कि "हमलावरों के नजर से देखें तो ऐसे लोग आसानी से पॉर्न मैलवेयर हमले का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वो पॉर्न देखते हैं। इसके अलावा, अब लोग मोबाइल के माध्यम से अधिक कंटेंट देख रहे हैं, जिसमें अडल्ट कंटेंट भी शामिल है।"
रिसर्च से पता चलता है कि जब यूजर्स किसी अननोन यानी अज्ञात पॉर्न एप्लीकेशन को डाउनलोड करते हैं, तो उन्हें क्लिकर्स का शिकार होने का सबसे बड़ा खतरा होता है। वहीं बैंकिंग ट्रोजन्स (वायरस) पॉर्न वीडियो प्लेयर के रूप में छिपे होते हैं, जो पॉर्न यानी अश्लील मैलवेयर का दूसरा सबसे बड़ा प्रकार है।