Monday, January 21, 2019-2:01 PM
गैजेट डेस्कः सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक न्यूज और गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने नए कानून लाने का प्रपोजल रखा है। लेकिन सिविल लिबर्टी ऑर्गनाइजेशन्स और ग्रुप इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे ऑनलाइन फ्री स्पीच पर पाबंदी लग जाएगी। पिछले महीने इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने एक बयान जारी कर कहा था कि सोशल मीडिया को लेकर लाए जा रहे नए कानून विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं।
24 घंटे के नोटिस पर हटाना होगा कंटेंट
भारत सरकार चाहती है कि फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर और गूगल 24 घंटे के नोटिस पर वो कंटेंट हटा दें जिन्हें सरकार गैरकानूनी मानती है। इसके अलावा ये प्लेटफॉर्म्स ऐसे ऑटोमेटेड टूल्स डेवलप करें जो आपत्तिजनक सामग्री की पहचान कर उन्हें हटा दे। सरकार यह भी चाहती है कि ये प्लेटफॉर्म्स कंटेंट के सोर्स का भी पता लगाए। उल्लेखनीय है कि सरकार ने व्हाट्सएप से एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन के फीचर को भी खत्म करने को कहा था, ताकि इस पर भेजे जाने वाले मैसेज की जरूरत पड़ने पर जांच की जा सके। जानकारी के लिए बता दें कि प्रस्तावित कानून भारत के आईटी एक्ट के सेक्शन 79 में बदलाव ला देंगे जो देश में ऑनलाइन कॉमर्स और साइबर क्राइम के लिए प्राइमरी लॉ है। अगर सरकार के प्रस्तावित कानून लागू होते हैं तो फेसबुक और ट्विटर को उस सामग्री पर प्रतिबंध लगाना होगा, जिसे सरकार सही नहीं मानेगी।
सोशल मीडिया को लाना होगा ऑटोमेटेड टूल
अगर सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून लागू हो जाते हैं तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने यूजर्स को सरकार की पॉलिसी के बारे में हर महीने जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही उन्हें ऐसे ऑटोमेटेड टूल लाने होंगे जो उस कंटेंट को रिमूव कर दे जिसे सरकार गैरकानूनी मानती है। बता दें कि बहुत पहले फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा था कि कंपनी ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम डेवलप करेगी जिससे आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट किए जाने से पहले ही रिमूव हो जाएगा। बावजूद इसके यूजर्स के पोस्ट को किस हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा, यह कह पाना कठिन है।
Edited by:Jeevan