सोने में होती है दिक्कत ? तो यह VR टेक्नोलॉजी करेगी आपकी मदद

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Sunday, July 28, 2019-7:13 PM

गैजेट डेस्क : टेक्नोलॉजी पर आधारित लोगों को सोने में होने वाली दिक्कत को दूर करने के लिए नई VR (वर्चुअल रियलिटी) तकनीक को इजात कर लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (RMIT) के आर्टिस्ट्स और रिसर्चर्स ने मिलकर सोने में सहायता करनी वाली डिवाइस को डेवेलप किया है। 

 

इस तरह काम करेगी सुलाने वाली मशीन 

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इस नई डिवाइस का नाम Inter-dream रखा गया है। यह डिवाइस ईईजी यानी विद्युतमस्तिष्कलेखन के माध्यम से उपयोगकर्ता के ब्रेनवेव्स द्वारा नियंत्रित कैलीडोस्कोपिक दृश्यों को कलाकारों द्वारा नियंत्रित एम्बिएंट म्यूजिक के साथ जोड़ती है।  

 

inter-dream हर ब्रेनवेव को अलग-अलग प्रॉपर्टीज और कलर पैनल देती है क्योंकि हमारे ब्रेनवेव्स निरंतर रूप से बदलते रहते हैं और उन्हीं के साथ दृश्यों और रंगो में भी बदलाव आता है। ज़्यादा एक्टिव ब्रेनवेव्स का सम्बन्ध ज़्यादा एक्टिव दृश्यों से है। इसके पीछे सोच यह है कि बिस्तर पर सोने से पहले जिनका भी मस्तिष्क ज़्यादा एक्टिव होता है उन्हें सोने में ज़्यादा दिक्कत होती है। 

 

यह स्लीपिंग डिवाइस वाइब्रेंट विज़ुअल्स के ज़रिये यूज़र के मस्तिष्क को शान्ति देते हुए उसे स्थिर करती है और उसके शरीर को सोने में मदद करती है। यह न्यूरोफीडबैक के सिद्धांत पर काम करती है। यह रियल टाइम डिस्प्लेस के ज़रिये लोगों को अपने माइंड को कण्ट्रोल करना सिखाती है ताकि वह सो सकें।  

 

Inter-dream डिवाइस की शुरुआत ऐसे हुई 

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इंटर-ड्रीम को पहली बार प्लगिनमैन नामक शोध संस्था द्वारा एक सार्वजनिक कला परियोजना के रूप में एक्सपेरिमेंट किया गया था। डॉ बेट्टी सार्जेंट और जस्टिन ड्वायर के बीच एक साझेदारी के माध्यम से इसका आविष्कार हुआ। लेकिन इसने आरएमआईटी विश्वविद्यालय के एक्सर्टियन गेम्स लैब से पीएचडी शोधकर्ता नाथन सेमर्टज़िडिस को अपनी तरफ आकर्षित किया। 

 

सेर्टज़िडिस ने नींद में सुधार करने की इंटर-ड्रीम की क्षमता के पीछे लम्बा अध्ययन किया। इसके बाद एक रिसर्च सर्वे के ज़रिये इसकी टेस्टिंग की गई। उन्होंने आरएमआईटी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन सर्वे में पाया कि प्रतिभागियों ने इंटर-ड्रीम का उपयोग करने के बाद नकारात्मक भावनाओं में 21 प्रतिशत की गिरावट और डर की भावनाओं में 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करवाई। उनकी सकारात्मक भावनाओं में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनकी शांति की भावनाएं 13 प्रतिशत तक बढ़ गई।

 


Edited by:Harsh Pandey

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