Sunday, December 31, 2017-3:44 PM
जालंधर : टैकनोलॉजी की दुनिया में वर्ष 2017 काफी खास रहा। इस साल कई ऐसी नई तकनीक व आविष्कार हुए हैं जिनका आने वाले समय में आम नागरिक को काफी फायदा होगा। इस वर्ष जहां चीन में दुनिया की पहली ऑनवाइन कोर्ट में केस की सुनवाई हुई वहीं दूसरी तरफ पहले रोबोट को नागरिकता के अधिकार दिए गए। टैस्ला ने भी इस वर्ष दुनिया के सबसे बड़े Li-ion बैटरी स्टोरेज सिस्टम को शुरू कर लोगों को हैरत में डाल दिया। वहीं हाइपरलूप तकनीक के भी भारत आने की भी पुष्टि हुई है।
इसके अलावा इस वर्ष मोटापे को कम करने वाला पहला स्किन पैच बनाया गया और शरीर से 60 सैकेंड में खून को बंद करने वाली ग्लू भी विकसित की गई। इसके साथ ही आज हम आपको ऐसे और भी कई आविष्कारों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो इस वर्ष काफी चर्चाओं का विषय बने।
ऑनवाइन कोर्ट में हुई केस की सुनवाई
इस वर्ष चीन में पहले ऑनलाइन केस की सुनवाई की गई। हैंगज़हू इंटरनैट कोर्ट में यह केस नॉवलिस्ट यानी उपन्यासकार और एक अॉनलाइन वैब कम्पनी के बीच लड़ा गया। इस केस में नॉवलिस्ट ने वैब कम्पनी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसके नॉवल यानी उपन्यास बिना प्रमिशन के वैब पर अपने रीडर्स तक पहुंचाए हैं। वैब के माध्यम से यह केस 30 मिनट तक लड़ा गया। इस केस में जज और लीगल एजेंट देश के कई भागों से वैब के माध्यम से ही एक दूसरे के साथ कनैक्टिड थे।
पहले रोबोट को मिले नागरिकता के अधिकार
इस साल दुनिया के पहले रोबोट को साउदी अरेबिया में नागरिकता के अधिकार दिए गए। इस सोफिया नामक रोबोट को 2017 फ्यूचर इन्वैस्टमेंट इनिशिएटिव इवेंट के दौरान पहली बार लोगों को दिखाया गया। इस इवेंट में सोफिया ने पूछे गए सभी सवालों के सही जवाब दिए।
TESLA ने शुरू किया सबसे बड़ा Li-ion बैटरी स्टोरेज सिस्टम
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए टैस्ला ने दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में दुनिया का सबसे बड़ा Li-ion बैटरी स्टोरेज सिस्टम शुरू किया है। टैस्ला के मुताबिक इससे 30,000 घरों में बिजली की जरूरत को पूरा किया जाएगा।
हाइपरलूप तकनीक के भारत आने की हुई पुष्टि
यातायात की सबसे बेहतर उच्च गति परिवहन प्रणाली हाईपरलूप के इस वर्ष भारत में शुरू करने की पुष्टि की गई है। मुसाफिरों की सहूलियत के लिए वर्जिन हाइपरलूप वन ने 10 उन देशों का नाम बताया है जहां हाइपरलूप तकनीक शुरू की जाएगी जिनमें भारत भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक यह तकनीक दक्षिण पूर्वी राज्य आंध्र प्रदेश के दो शहरों अमरावती और विजयवाड़ा को आपस में जोड़ेगी। इन शहरों की दूरी 42.8 किलोमीटर है जहां सफर करने में यात्रियों को कम-से-कम 1 घंटा 10 मिनट का समय लगता है। लेकिन इस तकनीक के आने के बाद मुसाफिर महज 6 मिनटों में इन शहरों के बीच की दूरी को पार कर सकेंगे।
मोटापे को कम करने वाला स्किन पैच बना
इस वर्ष मोटापे को कम करने वाला पहला स्किन पैच बनाया गया है। इसे कोलम्बिया यूनिवर्सिटी मैडिकल सैंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैलोरीना के शोधकर्ताओं ने साथ मिल कर विकसित किया है। इस पैच में छोटी-छोटी माइक्रो नीडल्स लगी हैं जो दवा को शरीर के अंदर मौजूद फैट सैल्स तक सीधे पहुंचाने का काम करती हैं। इससे दवा सिर्फ फैट वाले हिस्से में ही सीधा पहुंचती है जिससे बाकी का शरीर इस दवा के साइड इफैक्ट से बच जाता है। फिलहाल इसकी उपलब्धता को लेकर कोई जानकारी नहीं है।
60 सैकिंड में घाव से खून को बंद करने वाली ग्लू बनी
सड़क दुर्घटना होने पर शरीर से बहने वाले खून को रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के शोधकर्ताओं ने इस वर्ष सर्जिकल ग्लू विकसित किया है जो 60 सैकिंड में घाव से खून को बंद कर देगा। इस MeTro ग्लू का उपयोग करने पर घाव पर टांका लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। सूअरों के फेफड़ों में घाव को भरने के बाद आने वाले समय में इसे तकनीक को मनुष्यों पर टैस्ट किया जाएगा।
अस्थमा के मरीजों के लिए बनाया गया डिजीटल इनहेलर
इस वर्ष श्वास से जुड़ी अस्थमा जैसी बीमारी का मुकाबला करने के लिए दुनिया का पहला डिजीटल इनहेलर बनाया गया है जो जरूरत पड़ने पर ऑटोमैटिकली दवा की पूरी मात्रा को शरीर तक पहुंचा देगा जिससे रोगी को नाजुक स्थिति में भी दवा लेने में मदद मिलेगी। इसे उत्तरी कैरोलिना के एक टाऊन बून की फार्मास्यूटिकल कम्पनी पैन्यूमा रैस्पिरेटरी ने विकसित किया है। यह डिजीटल इनहेलर यूजर के सांस लेने पर उसे सैंस करेगा और ऑटोमैटिकली इलैक्ट्रॉनिक इंजैक्टर की मदद से दवा को धुंए के जरिए शरीर तक पहुंचा देगा, जिससे पूरी दवा शरीर को मिलेगी और रोगी को जल्द ही आराम मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि इसकी कीमत निर्धारित कर जल्द ही इसे आधिकारिक तौर पर पेश किया जाएगा।
बनाया गया पहला नीडल फ्री PRIME जैट इंजैक्शन
टीका लगने से होने वाले दर्द से बचाने के लिए पहला Pain Free जैट इंजैक्शन बनाया गया है जो माइक्रो जैट्स के जरिए दवा को शरीर के अंदर पहुंचाने में मदद करेगा। जिससे मैसाचुसैट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (MIT) में कई वर्षों की मेहनत के बाद विकसित किया गया है। यह जैट इंजैक्शन शार्प नीडल की बजाय हाई प्रैशर लिक्विड की स्ट्रीम को शरीर के अंदर पहुंचा देता है जिसमें समय भी कम लगता है व बीमारी के फैलने जैसा जोखिम भी कम किया जा सकता है।