हाइपरलूप तकनीक के निर्माण में टॉप 10 में शामिल हुआ भारत

  • हाइपरलूप तकनीक के निर्माण में टॉप 10 में शामिल हुआ भारत
You Are HereGadgets
Sunday, November 19, 2017-6:29 PM

जालंधर : मुसाफिरों की सहूलियत के लिए भारत में जल्द हाईपरलूप तकनीक शुरू होने वाली है। वर्जिन हाइपरलूप वन ने काफी लम्बे समय तक एक कॉन्टैस्ट को चलाने के बाद 10 उन देशों को सिलैक्ट किया है जहां हाइपरलूप तकनीक शुरू की जाएगी। इनमें मैक्सिको, भारत, अमरीका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा आदि शामिल हैं। इन देशों में 200 मील (लगभग 321 किलोमीटर) से 700 मील (लगभग 1126 किलोमीटर) तक की हाइपरलूप ट्यूब्स बिछाई जाएंगी। 

 

कम्पनी इन सब में से भारत को सबसे ज्यादा प्रायोरिटी दे रही है। वर्जिन हाइपरलूप वन द्वारा भारत में की गई फिजिबिलिटी स्टडी के मुताबिक मुंबई, बैंगलोर, पुणे और नागपुर में भी हाइपरलूप तकनीक को शुरू किया जा सकता है। आपको बता दें कि हाइपरलूप वन ने हाल ही में वर्जन ग्रुप के रिचर्ड ब्रैनसन को इनवैस्टर बनने के बाद कम्पनी का नाम वर्जिन हाइपरलूप वन में बदल लिया है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो अगर हाईपरलूप वन मुंबई और पुणे के बीच शुरू की जाए तो इससे महज 14 मिनटों में रास्ता तय किया जा सकेगा जिसे अब एक कार के जरिए 3 घंटों में पूरा किया जाता है।

PunjabKesari

 

अमरावती और विजयवाड़ा में बिछाई जाएगी ट्यूब्स
आपको बतां दें कि इससे पहले 7 सितम्बर को हाइपरलूप वन तकनीक को सबसे पहले भारत के दक्षिण पूर्वी राज्य आंध्र प्रदेश के दो शहरों अमरावती और विजयवाड़ा के बीच शुरू करने की पुष्टि की गई है। यह तकनीक इन दोनों शहरों में मौजूद सिटी सैंटर्स को आपस में कनैक्ट कर देगी। इन शहरों की दूरी 42.8 किलोमीटर है जहां सफर करने में यात्रियों को कम-से-कम 1 घंटा 10 मिनट का समय लगता है। लेकिन इस तकनीक के आने के बाद मुसाफिर महज 6 मिनटों में इन शहरों के बीच की दूरी को पार कर सकेंगे। इस डील को अमरीकी रिसर्च कम्पनी हाईपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टैक्नोलॉजी ने आंध्र प्रदेश इकोनॉमिक डिवैल्पमैंट बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ साइन किया है। फिलहाल यह जानकारी सामने नहीं आई है कि इसके लिए कितने पैसों की पेशकश आंध्र प्रदेश सरकार ने की है। लेकिन इतनी आधुनिक तकनीक को भारत में लाना ही एक बड़ी उपलब्धि है।

PunjabKesari

 

इस तरह काम करती है हाईपरलूप तकनीक 
हाईपरलूप यातायात की सबसे बेहतर उच्च गति परिवहन प्रणाली है। इस तकनीक में एक पैसेंजर पोड को लो प्रैशर ट्यूब में बिजली की सप्लाई की जाती है और मैग्नैटिक लीवीटेशन की मदद से पैसेंजर पोड आगे की ओर स्पीड पकडना शुरू हो जाता है। अमरीका के नेवादा रेगिस्तान में खास बनाए गए 500 मीटर के ट्रैक पर सितम्बर महीने में टैस्ट किया गया था जिसमें इस ट्रैक पर चलने वाले XP-1 नामक पैसेंजर पोड ने 310 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड तक पहुंच कर एक नया रिकार्ड कायम किया था। उम्मीद है कि ऐसे उच्च गति परिवहन प्रणाली के भारत में आने से देश के अन्य राज्यों में भी इसके लिए संभावनाओं को तलाशा जा सकेगा।

 

PunjabKesari
 


Latest News