Friday, September 8, 2017-12:22 PM
जालंधर : मुसाफिरों की सहूलियत के लिए भारत में जल्द हाईपरलूप तकनीक शुरू होने वाली है। इसे सबसे पहले भारत के दक्षिण पूर्वी राज्य आंध्र प्रदेश के दो शहरों अमरावती और विजयवाड़ा के बीच शुरू किया जाएगा। यह तकनीक इन दोनों शहरों में मौजूद सिटी सैंटर्स को आपस में कनैक्ट कर देगी। इन शहरों की दूरी 42.8 किलोमीटर है जहां सफर करने में यात्रियों को कम-से-कम 1 घंटा 10 मिनट का समय लगता है। लेकिन इस तकनीक के आने के बाद मुसाफिर महज 6 मिनटों में इन शहरों के बीच की दूरी को पार कर सकेंगे। इस डील को अमरीकी रिसर्च कम्पनी हाईपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टैक्नोलॉजी ने आंध्र प्रदेश इकोनॉमिक डिवैल्पमैंट बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ साइन किया है। फिलहाल यह जानकारी सामने नहीं आई है कि इसके लिए कितने पैसों की पेशकश आंध्र प्रदेश सरकार ने की है। लेकिन इतनी आधुनिक तकनीक को भारत में लाना ही एक बड़ी उपलब्धि है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए हाईपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टैक्नोलॉजी अक्तूबर के महीने में फिजीबिल्टी स्टडी शुरू कर देगी जिसमें ट्रांसमिशन ट्यूब्स के लिए बैस्ट रूट फाइनल किया जाएगा।
42.8 किलोमीटर रूट पर बिछाई जाएंगी ट्यूब्स :
आंध्र प्रदेश के इन दोनों शहरों अमरावती और विजयवाड़ा के बीच 42.8 किलोमीटर तक इन ट्यूब्स को बिछाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक हाईपरलूप ने कहा है कि अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चलता रहा तो इसका निर्माण जल्द शुरू होगा।
इस तकनीक का होगा आंध्र प्रदेश को फायदा :
हाईपरलूप तकनीक को आंध्र प्रदेश में लाने को लेकर कैबिनेट मिनिस्टर फॉर इन्फोर्मेशन टैक्नोलॉजी नारा लोकेश ने कहा है कि HTT के इस ट्रांसपोर्टेशन प्लेटफार्म से आईटी के बुनियादी ढांचे को और बढ़ावा मिलेगा। हाईपरलूप तकनीक टैक जगत में आंध्र प्रदेश का नाम ऊपर लाने में मदद करेगी।
इस तरह काम करती है हाईपरलूप तकनीक :
हाईपरलूप यातायात की सबसे बेहतर उच्च गति परिवहन प्रणाली है। इस तकनीक में एक पैसेंजर पोड को लो प्रैशर ट्यूब में बिजली की सप्लाई की जाती है और मैग्नैटिक लीवीटेशन की मदद से पैसेंजर पोड आगे की ओर स्पीड पकडना शुरू हो जाता है। अमरीका के नेवादा रेगिस्तान में खास बनाए गए 500 मीटर के ट्रैक पर हाल ही में इस तकनीक पर टैस्ट किया गया है जिसमें इस ट्रैक पर चलने वाले XP-1 नामक पैसेंजर पोड ने 310 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड तक पहुंच कर एक नया रिकार्ड कायम किया है। उम्मीद है कि ऐसे उच्च गति परिवहन प्रणाली के भारत में आने से देश के अन्य राज्यों में भी इसके लिए संभावनाओं को तलाशा जा सकेगा।