Monday, April 18, 2016-1:14 PM
जालंधर : वैज्ञानिकों ने झींगा और मछली के सबसे बढ़िया फीचर्स को मिला कर एक आर्टिफिशियल आंख तैयार की है जिससे अंधेरे में भी साफ देखा जा सकता है। इस आर्टिफिशियल आंख का प्रयोग सर्जीकल जांच, सर्च एंड रैसक्यू रोबोट्स या प्लेनेट सीकिंग के लिए भी की जा सकता है।
यू.एस. की यूनिवर्सिटी आॅफ विसकांसन मैडिसन के शोधकर्ताओं की तरफ से सैंसर कोम्पोनैंट की बजाय लैंसों के प्रयोग से इमेजिंगग व्यवस्था की सैंस्टीविटी को सुधारा गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बम डिफ्यूजिंगग रोबोट्स, लैप्रोसकोपिक सर्जन और प्लेनेट सीकिंग टैलिस्कोप ज्यादातर अंधेरो वाली जगह पर ही काम करते हैं। यह आर्टिफिशियल आंखें सर्च एंड रैसक्यू रोबोट्स या सर्जीकल जांच के लिए मदद कर सकतीं हैं।
बैक एंड की तरफ से आने वाली सैंस्टीविटी को बढ़ाने की बजाय शोधकर्ताओं ने फ्रंट एंड द्वारा आने वाली लाइट की इंटैनसिटी को बड़ा कर सैट किया है जिससे लाइट का फोकस सैंसर पर किया जा सके। मैनिसक्यूल पैराबोलिक मिरर के इंजीनियरिंग द्वारा मछली के क्रिस्टल कप्पस के ग्रुप को एम्यूलेट किया गया है। इस तकनीक के साथ अंधेरे में किसी चीज को देखना ओर भी आसान बनाया जा सकता है।