एक छोटी-सी गलती के कारण हो सकती थी नासा की 10 साल की मेहनत बर्बाद

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Saturday, July 2, 2016-12:30 PM

जालंधर : हमारे सौर मंडल में ग्रहों की गिनती में सबसे अंत में आने वाला प्लूटो कई रहस्यमई व अनसुलझी पहेलियों से घिरा हुआ है। हालांकि न्यू होराइकान्स सैटेलाइट की मदद से प्लूटो को समझने में काफी मदद मिल रही है पर न्यू होराइकान्स के लगभग 10 साल के सफर में एक बार ऐसा मोड़ आया था जब लग रहा था कि नासा की 10 साल की मेहनत कुछ पलों में ही बर्बाद हो जाएगी।

 

एक छोटी-सी भूल के कारण हो सकता था पूरा मिशन फेल

बहुत कम लोग यह जानते हैं, पर प्लूटो के नजदीक पहुंचने से कुछ दिन पहले ही न्यू होराइकान्स में एक ऐसी खराबी आई थी जिस कारण पूरा मिशन बर्बाद हो सकता था। दरअसल फ्लाईबाई मिशन पूरा होने के कुछ दिन पहले न्यू होराइकान्स का मिशन कंट्रोल रूम से सम्पर्क टूट गया था व स्पेसक्राफ्ट ने डाटा कुलैक्ट करना व नेवीगेट करना बंद कर दिया था। 

हुआ यह था कि न्यू होराइकान्स में लगा कम्प्यूटर सिस्टम लगातार मल्टीपल टास्क कर रहा था, जिससे सिस्टम ओवरलोड होने के कारण सेफ मोड में चला गया था तथा न्यू होराइकान्स ने नेवीगेशन और डाटा कुलैक्ट करना बंद कर दिया था।

 

न्यू होराइकान्स ने साबित किए कई सिद्धांत गलत

जो सिद्धांत बनाया गया था कि छोटे आकार के ठंडे ग्रह ‘डैड प्लैनेट’ में तबदील हो जाते हैं, को प्लूटो फ्लाईबाई मिशन के सफल होने के बाद मिले डाटा व तस्वीरों ने गलत साबित कर दिया। इसके साथ-साथ जो सूर्य  से इतना दूर होने के कारण प्लूटो पर पानी तरल अवस्था में होने की बात को सिर्फ कोरी कल्पना मानते थे, न्यू होराइकान्स से मिली ताजा तस्वीरों ने उन्हें गलत साबित कर दिया है।

 

न्यू होराइकान्स : 470 किलो का यह स्पेसक्राफ्ट गति को ध्यान में रख कर बनाया गया था, इस बात का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि अपोलो मिशन को चंद्रमा तक पहुंचने में 3 दिन का समय लगा था, वहीं न्यू होराइकान्स ने धरती से चंद्रमा तक की दूरी सिर्फ 9 घंटों में पार कर ली थी। 19 जनवरी 2006 को धरती से लांच हुए न्यू होराइकान्स का मिशन था 9.5 सालों में अपने सफर को पूरा करना व प्लूटो के नजदीक जाकर उसकी साफ तस्वीरें लेना ताकि प्लूटो को और नजदीक से जाना जा सके।

 

ऐसे निकाला गया हल

1. टैलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीर

2. न्यू होराइकान्स द्वारा ली गई प्लूटो की लेटैस्ट तस्वीर

 

न्यू होराइकान्स के साथ सम्पर्क टूटने के बाद मिशन के साथ जुड़ा हर व्यक्ति तनाव में था पर मिशन के साथ जुड़ी टीम द्वारा जब पता लगाया गया कि न्यू होराइकान्स स्पेसक्राफ्ट का कम्प्यूटर सिस्टम सेफ मोड में चला गया है तो पूरी टीम ने मिलकर दोबारा स्पेसक्राफ्ट को फ्लाईबाई कमांड सीक्वैंस भेजने शुरू किए। कमांड्स को स्पेसक्राफ्ट तक पहुंचने  में 9 घंटे का समय लगा पर टीम मिशन  द्वारा की गई मेहनत रंग लाई व स्पेसक्राफ्ट के साथ दोबारा सम्पर्क बना लिया गया।

 

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