आज से भारत में नई ड्रोन पॉलिसी लागू, आसान होगी ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन की राह

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Saturday, December 1, 2018-1:17 PM

गैजेट डेस्क- भारत में अाज से ड्रोन उड़ाने के लिए नई गाइडलाइंस तय हो गई हैं और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि शनिवार से ड्रोन के इस्तेमाल के लिए पंजीकरण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, अन्य जरूरतों के साथ-साथ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक प्रत्यारोपण के लिए अंग ले जाने में भी इन ड्रोन का इस्तेमाल होगा। योजना के एक महीने के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। वहीं आम लोग भी ड्रोन से जिंदगी के खूबसूरत लम्हों की तस्वीर उतार सकेंगे। हालांकि नियमों की अनदेखी करने पर मुश्किल भी हो सकती है। वहीं डायरेक्टोरेट ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) में इसका रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा। अाइए जानते हैं इन नए नियमों के बारे में...

PunjabKesariनए नियम

- ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस के नियम भी तय किए गए हैं। लाइसेंस तभी मिलेगा, जब आवेदक की उम्र 18 साल से ज्यादा होगी और वह 10वीं पास होगा। इसके साथ ही अंग्रेजी जानना भी जरूरी रखा गया है।

- ड्रोन उड़ाने के लिए इसका रजिस्ट्रेशन, ऑपरेटर परमिट और उड़ाने से पहले क्लियरेंस लेना जरूरी है। इसके लिए डीजीसीए की वेबसाइट पर 'डिजिटल स्काय' नाम से प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है।

- यूआईएन के लिए 1 हजार और यूएओपी के लिए 25 हजार रुपए फीस लगेगी। हालांकि यूएओपी 5 साल तक वैलिड होगा और बाद में रिन्यूअल के लिए 10 हजार रुपए की फीस देनी होगी। 

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- प्रतिबंधित क्षेत्र में ड्रोन की अनुमति रक्षा मंत्रालय देगा। क्लीयरेंस गृह मंत्रालय से मिलेगा। ड्रोन उड़ाने के नियमों का उल्लंघन करने पर आईपीसी की धारा 287, 336, 337, 338 के तहत जुर्माने और सजा का प्रावधान है। डीजीसीए यूआईएन और यूएओपी निलंबित या रद्द भी कर सकता है।

ड्रोन 2.0 योजना

जयंत सिन्हा ने बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल शुरू होने के बाद जल्द ही ड्रोन 2.0 पर भी काम शुरू हो जाएगा। इसमें दृष्टि सीमा से दूर भी ड्रोन उड़ाने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी ड्रोन का नियंत्रण दूर नियंत्रण कक्ष में बैठे पायलट द्वारा करने की अनुमति दी गई है। लेकिन ड्रोन 2.0 में ऑटोमेटेड ड्रोन की अनुमति भी दी जाएगी, जिसके नियंत्रण के लिए पायलट की जरूरत नहीं होगी।

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अंग प्रत्यारोपण में होगी अासानी 

इसके साथ ही सिन्हा ने बताया कि प्रत्यारोपण के लिए अंग ले जाने में समय की पाबंदी होती है। एक निश्चित समय के भीतर अंग को एक शरीर या ‘ऑर्गन बैंक’ से निकालकर जरूरतमंद मरीज के शरीर में लगाना होता है। सड़क मार्ग की तुलना में ड्रोन से इन अंगों को पहुंचाने में आसानी होगी।

बनाए जाएगें ड्रोन पोर्ट

केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि अस्पतालों में ‘ड्रोन पोर्ट’ बनाए जाएंगे, जहां ड्रोन के उतरने और उड़ान भरने की विशेष सुविधा होगी। इसके अलावा हवा में विशेष ‘एयर कॉरिडोर’ बनाए जाएंगे। 

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ड्रोन कैटेगरी

1.  नैनो ड्रोन : 250 ग्राम या इससे कम वजन वाले होते हैं और अधिकतम 50 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं।

2.  माइक्रो ड्रोन : 250 ग्राम से दो किलो वजन के ड्रोन इस श्रेणी में आते हैं। इसको उड़ाने के लिए यूआईएन लेनी होगी। लेकिन 200 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए परिचाल परमिट की भी जरूरी।

3. छोटे ड्रोन : दो से 25 किलोग्राम के ड्रोनों को इस श्रेणी में रखा गया है। कीटनाशकों के छिड़काव आदि में इसका इस्तेमाल लाभदायक।

4. मध्यम ड्रोन : 25 से 150 किलो वजन के होते हैं। खनन, तेल-गैस की खोज में इनका इस्तेमाल होता है।

5. बड़े ड्रोन : 150 किलोग्राम से अधिक वजन वाले ड्रोन का प्रयोग औद्योगिक कार्यों में होता है।


Edited by:Jeevan

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