Tuesday, August 20, 2019-10:14 AM
गैजेट डेस्क : अगर आप सोच रहें कि यूट्यूब लॉ सूट यानी मुकदमों से अछूता है तो यह आपकी ग़लतफहमी है क्योंकि एक बार फिर से दुनिया के टॉप मोस्ट वीडियो प्लेटफॉर्म पर मुक़दमा ठोका गया है। इस बार गंभीर भेदभाव का आरोप लगाते हुए LGBTQ (लैस्बियन, गे, बायसेक्सुअल , ट्रांसजेंडर ,क्वीर) कम्युनिटी के कुछ क्रिएटर्स ने यूट्यूब पर मुक़दमा किया है।
इन शिकायती क्रिएटर्स ने साफ़ तौर पर यूट्यूब पर आरोप लगाया है कि वह उनके कंटेंट के प्रति पक्षपाती है और इसलिए वह उसे डीमॉनीटाइज़ कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि इस पक्षपाती रवैये के चलते वह अपने कंटेंट से रेवेन्यू बना नहीं पा रहें हैं।
LGBTQ कम्युनिटी के क्रिएटर्स ने रखी बात
"मुझे ऐसा नहीं लगता कि लोग हमें गंभीरता से लेते हैं और इसे बदलने की जरूरत है," रॉस ने द वर्ज वेबसाइट को बताया। "YouTube को वास्तव में इस समुदाय पर ध्यान देना शुरू करने की आवश्यकता है ... मुझे ऐसा नहीं लगता है कि मैं एक ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हूं जिसे मैंने और LGBTQ + समुदाय के व्यक्तियों ने बनाने में मदद की है।"
वीडियो-शेयरिंग वेबसाइट पर उम्र बढ़ाने और उनके वीडियो को डीमनेट करने का आरोप है क्योंकि उनके शीर्षक और मेटाडेटा में ट्रांसजेंडर , गे , लेस्बियन जैसे LGBTQ कम्युनिटी शब्दों को आगे रखा गया है।
यूट्यूब की सीईओ सुसान वोजीसकी ने हालिया में अपने बयान में कहा था कि उनका ऑनलाइन प्लेटफार्म LGBTQ कम्युनिटी के कंटेंट को डीमॉनीटाइज़ नहीं करता है और उसका AI मशीन लर्निंग मॉडरेशन टूल स्वंतंत्र होकर काम करता है और अपने आप में ही उन वीडियो को ऐड चलाने के लिए चुनता है और उन्हें रिकमेंड भी करता है।
हालांकि, वर्तमान मुकदमा सीईओ के बयान का खंडन करता है और अनुचित निर्णय के लिए उसी एआई मशीन लर्निंग टूल और मैनुअल रिव्यूवर्स पर आरोप लगाता है। अब तो मामला कोर्ट में जा चुका है जहाँ यूट्यूब को अपना पक्ष हर हाल में रखना ही होगा।
Edited by:Harsh Pandey