दिमाग में सोचने मात्र से ही कंप्यूटर को कमांड देगा यह स्मार्ट आर्मबैंड

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Thursday, June 21, 2018-5:34 PM

जालंधर- टैक्नोलॉजी की इस दुनिया में होने वाले नए- नए अविष्कारों ने हमारे रोजमर्रा के कई कार्यो को अासान बना दिया है। वहीं अमरीका की न्यूरोसाइंस स्टार्टअप सीटीआरएल-लैब्स ने एेसा आर्मबैंड बनाया है जिससे यूजर्स अपने मस्तिष्क के जरिए कंप्यूटर को भी नियंत्रित कर सकते हैं। कंपनी के मुताबिक यह ऐसा डिवाइस है जो कीबोर्ड, माउस और टच स्क्रीन की उपयोगिता खत्म कर सकता है। इसके सभी सर्किट बोर्ड को गोल्ड से सोल्डर किया गया है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक इस बैंड का डेवलपर किट उपलब्ध करा सकता है। फिलहाल कंपनी ने इसका प्रोटोटाइप पेश किया है।

 

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इलैक्ट्रोमायोग्राफी टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल

यह डिवाइस इलैक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी) टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। ईएमजी मसल मूवमेंट का पता लगाने के साथ इशारों को समझ सकता है। यह न्यूरल सिग्नल  को कीबोर्ड या वीडियो गेम की पर मैप कर सकता है। यह एक तरह से एंटीना की तरह काम करता है। यह आर्मबैंड कीबोर्ड या माउस की तरह ही इंटरफेस है।

 

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एेसे करता है काम 

इस आर्मबैंड के 16 इलेक्ट्रोड मॉनिटर मसल फाइबर द्वारा एम्प्लीफाई किए गए सिग्नल की मॉनिटरिंग करते हैं। इस काम में गूगल का टेंसरफ्लो भी मदद करता है। ये इलेक्ट्रोड अंदर की तरफ से बांंह की त्वचा के संपर्क में रहते हैं। ये सुपरलांग तंत्रिकाएं दिमाग से आदेश लेकर मसल्स को भेजती रहती हैं। इसी तरह इलेक्ट्रोड दिमाग की इच्छाओं को सिग्नल के तौर पर भेजने का काम करते हैं।

 

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1966 में हुअा इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

अापको बता दें कि 1966 में पहली बार इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इटली के फिजिशियन फ्रांसेस्को रेडी में इच्छाओं को एक्शन में बदलने के लिए किया था। सीटीआरएल लैब्स के सीईओ थॉमस रीअरडन बताते हैं कि 2015 में उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंटिस्ट पैट्रिक कैफोश और टिम मकाडो के साथ प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी।

 

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