- एक फुल टैंक से तय करेगी 1,000 किलोमीटर का सफर
गैजेट डैस्क : पूरी दुनिया में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को देखते हुए जर्मनी के उत्तरी पश्चिमी राज्य लोअर सैक्सोनी में दुनिया की पहली फुली हाइड्रोजन पॉवर्ड ट्रेन सर्विस को शुरू कर दिया गया है। इसे फ्रैंच की रेल ट्रांसपोर्ट निर्माता कम्पनी Alstom द्वारा तैयार किया गया है। Coradia iLint नामक इस हाइड्रोजन ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बहुत कम शोर करती है और इससे प्रदूषण भी नहीं होता। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हाइड्रोजन के एक फुल टैंक से करीब 1,000 किलोमीटर तक की यात्रा तय कर सकती है। फिलहाल इसे सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी के बीच ही शुरू किया गया है।
चलाने में सस्ती पड़ेगी यह ट्रेन
ट्रेन की निर्माता कम्पनी अल्सतोम का कहना है कि इस ट्रेन को खरीदना डीजल ट्रेन के मुकाबले महंगा पड़ेगा, लेकिन यह चलाने में काफी सस्ती पड़ेगी। ट्रेन के ऊपर की ओर हाइड्रोजन टैंक और फ्यूल सैल लगे हैं, जोकि पानी और हाइड्रोजन के कॉम्बीनेशन से बिजली पैदा करते हैं। आपको बता दें कि ट्रेन में जो अतिरिक्त एनर्जी पैदा होगी, उसे ऑयन लिथियम बैटरी में सेव रखा जाएगा।
140km/h की टॉप स्पीड
ट्रेन में लगा इंजन 140 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार आसानी से पकड़ता है। अल्सतोम ने बताया है कि ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, डेनमार्क, नॉर्वे, इटली और कनाडा ने हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेनों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। पर्यावरण के लिहाज से भी ये ट्रेन काफी फायदेमंद है। हाइड्रोजन से चलने वाली यह ट्रेन कार्बन-डाईआक्साइड का उत्सर्जन नहीं करती है, बल्कि केवल भाप और पानी ही निकालती है।
एक बार में सफर कर सकते हैं 300 यात्री
Coradia iLint हाइड्रोजन ट्रेन में एक बार में 300 से ज्यादा यात्री सफर कर सकते हैं। वहीं इसमें 150 से ज्यादा यात्रियों के बैठने की सुविधा है। हाइड्रोजन को ईंधन की तरह उपयोग करना काफी आसान है क्योंकि यह डीजल की तरह ही पावर पैदा करता है। इसके टैंक को सिर्फ 15 मिनट में रीफिल किया जा सकता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर इसके साथ एक से ज्यादा टैंक्स को भी बढ़ाया जा सकता है।
इस कारण शुरू किए गए थे डीजल इंजन्स
स्टीम इंजन्स के बाद डीजल के सस्ते होने की वजह से रेलवेज ने इनका उपयोग करना शुरू किया था। इसके बाद इलैक्ट्रिक इंजनों का उपयोग किया जाने लगा लेकिन इसके लिए रेलवे लाइन्स के ऊपर बिजली की तार डालनी पड़ती थी जोकि काफी महंगा काम है। इसी बात पर ध्यान देते हुए बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए अल्सतोम कम्पनी ने अब हाइड्रोजन ट्रेन का समाधान निकाला है।
लाजवाब डिजाइन
हाइड्रोजन ट्रेन के डिजाइन को देख कर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि यह ट्रेन हाइड्रोजन से चलती है, क्योंकि इसके डिजाइन को डीजल से चलने वाली ट्रेन के जैसा ही तैयार किया गया है लेकिन इसके पास से गुजरने पर कोई आवाज नहीं आती है किन्तु कम्पनी ने बताया है कि इसके पहियों की आवाज भी ट्रेन में लगी मोटर से ज्यादा है।
- Alstom कम्पनी ने जर्मनी लोअर सैक्सोनी रीजन में 2021 तक 14 और हाइड्रोजन ट्रेनों को चलाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल 16 हाइड्रोजन ट्रेनों को शुरू करने के लिए 94.5 मिलियन डॉलर के कान्ट्रैक्ट को शुरू किया गया है।
भारत को भी चाहिए हाइड्रोजन ट्रेन
प्रदूषण की बढ़ रही समस्या को देखते हुए भारत को भी हाइड्रोजन ट्रेनों को देश में लाने पर विचार करना चाहिए। भारत में कई महत्वपूर्ण रूट्स पर बिजली की तारें नहीं बिछाई गई हैं यानी यहां सिर्फ डीजल इंजनों का ही उपयोग होता है। ऐसे में ये हाइड्रोजन ट्रेन इन रूट्स पर काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
Edited by:Jeevan