क्या आप जानते है बीएस-6 उत्सर्जन मानक ? जानिए इससे होने वाली हानि-लाभ

  • क्या आप जानते है बीएस-6 उत्सर्जन मानक ? जानिए इससे होने वाली हानि-लाभ
You Are HereGadgets
Sunday, August 25, 2019-3:55 PM

ऑटो डेस्क :  बीएस-6 शब्द आपने अक्सर गाड़ियों की लॉन्च से जुड़ी खबरों में सुना होगा। पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनज़र बीएस-6 उत्सर्जन का मानक तय किया गया है। इसको लेकर ऑटो वर्ल्ड के लोग ही जानकारी रखते है लेकिन अब वक़्त है आम आदमी इस शब्द और इसके मायने से अवगत हो क्योंकि यह सभी जुड़ा है।  


 

 बीएस-6 उत्सर्जन क्या है ?

 

Image result for india air pollution vehicles

 

बीएस का फुल फॉर्म है - भारत स्टेज( Bharat Stage emission standards) जो वाहनों में प्रदूषण को मापने के लिए एक मानक है। यह वाहन के इंजन से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर जैसे प्रदूषकों को मापने की एक विधि है। बीएस के आगे लगने वाले नंबर से पता चलता है कि वह वाहन कितना प्रदूषण उत्सर्जित करता है। जितना नंबर अधिक होगा उतना ही काम वह वाहन प्रदूषण का उत्सर्जन करेगी। बीएस 6 को सबसे कम मात्रा में प्रदूषक तत्व निकालने वाले वाहन के लिए एक मिनिमम स्टैण्डर्ड के तौर पर रखा गया है। 


सरकार ने इसे साल 2000 में पेश किया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समय-समय पर नए मानक को फिक्स किया है और अभी बीएस-4 लागू है। बढ़ते हुए प्रदूषण पर रोकथाम के लिए भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से बीएस 6 लागू करने का फैसला लिया है। बदलते बीएस मानक को देखते हुए ही कंपनियों को अपने वाहनों के इंजन को अपग्रेड करना होता है। 

 

 


BS-6 वाहन BS-4 वाहनों की तुलना में पेट्रोल और डीजल इंजनों से जारी नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 25 प्रतिशत कम हो जाएगी और सल्फर की मात्रा पांच गुना कम हो जाएगी।

 

BS-6 लाने से पर्यावरण बहुत लाभकारी होगा, लेकिन आर्थिक रूप से आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। BS-6 को अपग्रेड करने से पेट्रोल वाहन की कीमत में 80,000 रुपये और डीजल वाहन की कीमत में 2 लाख रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है।


Edited by:Harsh Pandey